इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बस यह चुनना होता है कि कितने बड़े कारोबार में निवेश किया जाए. बहुत बड़े कारोबारों की खबरें नियमित रूप से आती रहती हैं जिनसे नए लोगों को भी उनके बारे में पहले से मालूम होता है. लेकिन शेयर बाजारों की स्मॉल-कैप श्रेणी में आने वाले कई कारोबारों के बारे में यह बात सही नहीं हो सकती. छोटी कंपनियां खास तरह के कारोबार पर ही ध्यान देती हैं, लेकिन लंबे अरसे में उन बड़ी कंपनियों के मुकाबले उनका राजस्व और मुनाफा बढ़ने की संभावना रहती है, जिन्होंने कई तरह के कारोबार में विविधीकरण कर लिया हो. जो निवेशक जोखिम उठा सकते हैं, वे स्मॉल-कैप फंड को मोटा मुनाफा कमाने का अवसर मान सकते हैं.
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के म्यूचुअल फंड वर्गीकरण के अनुसार स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड वे फंड हैं जो अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 80 फीसद स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करते हैं. सेबी के फ्रेमवर्क के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 100 स्टॉक्स को लार्ज कैप के रूप में परिभाषित किया गया है; अगले 150 मिड-कैप हैं; और बाकी स्मॉल-कैप. इसलिए बाजार पूंजीकरण के आधार पर सूची में 250वें स्थान के बाद आने वाली कंपनियां स्मॉल-कैप स्टॉक हैं, जिनमें स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से निवेश करते हैं.
स्मॉल कैप फंड ही क्यों?
इक्विटी में निवेश का सरोकार ग्रोथ और मुनाफा कमाने से है. लार्ज कैप फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनके पास छोटी फर्मों की तुलना में विविध कारोबारी संरचनाएं हैं. इनमें साल-दर-साल अपने राजस्व और ग्रोथ में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव के आसार कम होते हैं. लेकिन छोटे कारोबारों में उनके आकार और व्यवसाय चक्र के चरण के कारण बहुत तेजी से ग्रोथ की क्षमता होती है जो निवेशक अपने निवेश में तेजी से वृद्धि चाहते हैं, वे इन्हीं फंडों में निवेश करना पसंद करते हैं. उन्हें इक्विटियों में अपने समग्र आवंटन का अवसर मिलता है.
この記事は India Today Hindi の October 12, 2022 版に掲載されています。
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