पूर्वी सिंहभूम के हटा गांव में तेज हवाओं के बीच भीड़ प्लास्टिक की लाल कुर्सियों पर बैठी है, समोसे खा रही और चाय पी रही है, नजरें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और तीन बार के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा पर टिकी हैं जो भाषण देने के लिए तैयार हैं. लेकिन हॉल में एक शख्स का ध्यान कहीं और है-अर्जुन की पत्नी मीरा मुंडा का ध्यान पोटका विधानसभा क्षेत्र पर है जहां से वे भाजपा उम्मीदवार हैं. मुंडा जैसे ही पार्टी के चुनाव अभियान दफ्तर के उद्घाटन की बैठक में उस दिन का अंतिम भाषण देने के लिए खड़े हुए, मीरा झुकीं, बांग्ला में फुसफुसाईं, आमी आश्छी (मैं आती हूं). मुंडा ने इसके बाद श्रोताओं को संबोधित किया, "अगर आप इजाजत दें तो हम उम्मीदवार को अन्य जगह जाने देते हैं." झुकते हुए मीरा 2019 में भाजपा की पराजित पूर्व विधायक मेनका सरदार के साथ बाहर निकल गईं.
किसी भी पैमाने से पोटका बहुत बड़ा क्षेत्र नहीं है और ऐसा भी नहीं कि मीरा अपने पति का भाषण सुनने के लिए थोड़ा समय भी नहीं निकाल सकती थीं. लेकिन करीब 3 लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में इस बात को नहीं भूला जा सकता कि पिछले चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संजीव सरदार ने 43,110 वोटों से मेनका को हराया था. संजीव फिर मैदान में हैं और मुंडा इस बात से वाकिफ हैं कि उनके सामने कितना बड़ा लक्ष्य है.
चुनाव में दौड़-धूप करने वाले मुंडा अकेले नहीं हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना ने राज्य के दो विपरीत छोरों पर रणनैतिक रूप से अपने कैंप बना लिए हैं. जहां कल्पना गिरिडीह में रहकर पाकुड़, दुमका और देवघर जैसी सीटों को कवर करने में लगी हुई हैं, वहीं हेमंत अपने रांची बेस से संचालन कर रहे हैं. उन्हें अपने साथी दलों की कमजोरी का पता है: कांग्रेस में लोकप्रिय नेता का अभाव है और राष्ट्रीय जनता दल का राज्य में सीमित प्रभाव है. राज्य के पठारी इलाके में मतदाताओं से संपर्क करने की जिम्मेदारी सोरेन पर है. कल्पना भी मईया सम्मान योजना यात्रा का चेहरा हैं जिसे महिला वोटरों को जोड़ने के लिए शुरू किया गया था. फिर से चुनाव जीतने के लिए यह योजना इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) के लिए महत्वपूर्ण है.
この記事は India Today Hindi の November 20, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は India Today Hindi の November 20, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई