अमीर-गरीब के बीच की खाई भारत में कभी छिपी नहीं रही है. पेरिस स्थित शोध संगठन वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब की ओर से हाल में जारी एक शोधपत्र में इसकी बस फिर से पुष्टि की गई है. अगर कुछ हुआ है तो यह कि खाई और चौड़ी हो गई है. देश के शीर्ष एक फीसद तबककी आमदनी और संपत्ति में हिस्सेदारी अपनी ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है और यह दुनिया में सबसे ज्यादा है. शोधपत्र के निष्कर्षों में कहा गया है कि साल 2023 तक सबसे अमीर एक फीसद भारतीयों के पास देश की आय का 22.6 फीसद और संपत्ति का 40 फीसद हिस्सा था.
'इनकम ऐंड वेल्थ इनइक्वेलिटी इन इंडिया, 1922-2023: द राइज ऑफ बिल्यनेर राज' शीर्षक वाले शोधपत्र के अनुसार आजादी के बाद से 1980 के दशक की शुरुआत तक गैर-बराबरी में कमी आई थी लेकिन इसके बाद इसमें बढ़ोतरी शुरू हो गई और 2000 के दशक की शुरुआत में यह बहुत तेज गति से बढ़ी. देश के शीर्ष एक फीसद लोगों ने 2022-23 में औसतन 53 लाख रुपए की कमाई की जो औसत भारतीय की आय से 23 गुना अधिक है जिसने 2.3 लाख रुपए की आय सृजित की. देश के निचले पायदान के 50 फीसद और बीच के 40 फीसद लोगों की औसत आय क्रमशः 71, 000 रु. (राष्ट्रीय औसत का 0.3 फीसद) और 1,65,000 रु. (राष्ट्रीय औसत का 0.7 फीसद) रही. सबसे अमीर 9,223 लोगों (9.2 करोड़ वयस्क भारतीयों में से) ने औसतन 48 करोड़ रुपए कमाए (औसत भारतीय आय से 2,069 गुना).
この記事は India Today Hindi の April 10, 2024 版に掲載されています。
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