गदर का गवाह रहा पश्चिमी यूपी का जिला मेरठ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अभी तक भाग्यशाली ही साबित होता आया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने यूपी में मेरठ से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी और यही क्रम 2019 में भी बरकरार रखा. दोनों बार पश्चिमी यूपी में गंगा-यमुना दोआब में भगवा लहर ने विपक्षी दलों को पीछे छोड़ दिया. 10 साल बाद इस बार मेरठ के मोदीपुरम इलाके में प्रधानमंत्री मोदी की रैली पिछली बार की तुलना में जुदा थी. उनके साथ मंच पर यूपी में भाजपा के सभी मित्रदलों के साथ पहली बार राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) मुखिया चौधरी जयंत सिंह फोकस में थे. मंच पर बैकड्राप में लिखा था, "भारत रत्न चौधरी चरण सिंह गौरव समारोह. " इस पर सिर्फ दो तस्वीरें थीं: एक पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और दूसरी मोदी की. मेरठ रैली से एक दिन पहले 30 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से जयंत चौधरी ने अपने दादा को मिला भारत रत्न सम्मान ग्रहण किया था.
मोदी की रैली भाजपा और रालोद के लिए इसलिए अहम थी कि दोनों ने 15 साल बाद फिर गठबंधन किया है. पश्चिम में किसानों खास कर जाट समाज को साधने के लिए रैली पूरा फोकस चौधरी चरण सिंह पर रहा. रैली का नाम ही दिया गया था भारत रत्न चौधरी में चरण सिंह गौरव समारोह. मोदी ने उन्हें भारत रत्न देने को अपनी सरकार की उपलब्धि बताया और भावनात्मक कार्ड खेलते हुए याद दिलाया कि कैसे इस मसले पर जयंत को संसद में बोलने से रोका गया. जयंत को दो बार 'छोटे भाई' कहकर मोदी ने रालोद से दोस्ती की गांठ मजबूत की. पश्चिमी यूपी में विपक्षी दलों को निशाने पर लेते हुए मोदी ने लोगों को एहसास कराया कि इंडिया गठबंधन के दलों ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न नहीं दिया. जयंत ने भी अपने दादा के गुजरात और सरदार वल्लभ भाई पटेल से जुड़ाव की बात कही. मोदी ने भाजपा-रालोद दोस्ती को गहरा दिखाने की हरसंभव कोशिश की. उन्हें एहसास था कि इस लोकसभा चुनाव में उनके दिए हुए 400 पार' के नारे को हकीकत में बदलने के लिए पश्चिमी यूपी की सभी लोकसभा सीटें जीतनी होंगी.
この記事は India Today Hindi の April 24, 2024 版に掲載されています。
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