मुख्यालय से 16-17 किलोमीटर पहले ही पड़ता है तेतरिया गांव. यहां घुसते ही इरफान अंसारी हमें रोक लेते हैं, इस दावे के साथ कि "बीड़ी मजदूरों के बारे में हमसे बेहतर कोई आपको बता नहीं पाएगा. हम पोलिटिकल वर्कर रहे हैं, बीड़ी मजदूरों के संगठन में रहे हैं. इस उद्योग की रग-रग से वाकिफ हैं. मुई जिले में खासकर इसके झाझा, सोनो और गिद्धौर ब्लॉक में आपको मुश्किल से कोई ऐसा घर मिलेगा जहां बीड़ियां नहीं बनतीं. आज नहीं तो दस-बीस साल पहले तो बनती ही थीं. अब घर में कोई अच्छा कमाने वाला हो गया तो अपनी औरतों से बीड़ी बनवाना छुड़वा दिया. नहीं तो घर-घर में बैठकर बीड़ी लपेटती महिलाएं." बीड़ी उद्योग ही यहां की पहचान है. इसी तेतरिया गांव में 5,000 वोटर हैं, इसमें से बमुश्किल 500 वोटर होंगे, जिनके घर बीड़ी नहीं बनाई जाती.
इरफान गांव की तस्वीर खींच ही रहे थे कि उसी बीच हमारी बातचीत सुन रहा एक शरारती बच्चा बीड़ी जलाइले जिगर से पिया... गाना गाते हुए वहां से निकल जाता है. वे उस बच्चे पर भड़क उठते हैं और फटकार लगाते हुए पूछते हैं, "कुछ समझबौ करते हो इस गाने का मतलब ? बस गावै लगलेन. इहां तो बिना पिए ही बीड़ियां लोगों का दिल-जिगर सब जला रही हैं."
वे पास ही बैठे रिश्तेदार रिजवान अंसारी की तरफ इशारा करते हैं: "देखिए इसको, मुश्किल से 52-55 साल का होगा. सत्तर साल का बूढ़ा लगता है, इसने कभी बीड़ी नहीं पी. मगर आज दम्मे की बीमारी से ऐसा परेशान है कि कहने लगता है, अब अल्लाह उठा ले. पहले घर में बीड़ी बनाता था, फिर झाझा की एक बीड़ी फैक्टरी में बीड़ी सेकने की नौकरी की. वहीं यह बीमारी लग गई. " रिजवान अकेले नहीं. इरफान के मुताबिक, गांव के हर दूसरे घर में दमा और हर दसवें घर में टीबी के मरीज मिल जाएंगे. "पेट की आग कहती है बीड़ी बनाओ और बीड़ी कहती है, तुम पियो न पियो, हम तुम्हारा जिगर जला देंगे. "
この記事は India Today Hindi の April 24, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は India Today Hindi の April 24, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
सोणा पंजाबी एल्बम मान दा
गायक-अभिनेता-गीतकार गुरदास मान दूरदर्शन के साथ शुरुआत से लेकर अपने नए एल्बम साउंड ऑफ सॉएल, वीर जारा के किस्से और नई पीढ़ी के कलाकारों पर
"हाथ से सितार ले लिया जाए तो मैं दुनिया के किसी काम का नहीं"
उस्ताद शुजात खान इस दौर के श्रेष्ठतम सितारवादकों में से एक हैं. छह साल की उम्र से ही स्टेज पर परफॉर्म करने वाले, ग्रैमी अवार्ड के लिए नामित, इमदाद खान घराने के ये 64 वर्षीय संगीतकार जितने सादगीपसंद हैं उतने ही जिंदादिल. एक अरसा पहले वे दिल्ली की चिल्लपों से दूर गोवा के एक गांव में जा बसे जो पणजी से 12 किमी दूर है. दी लल्लनटॉप और इंडिया टुडे के संपादक सौरभ द्विवेदी ने हाल में जिंदगी के तमाम पहलुओं पर उनसे लंबी बातचीत की. उसी के अंशः
सदा के लिए नहीं रहा हीरा
भारत के हीरा उद्योग में भूचाल जैसी स्थिति है और इसे तराशने वाले कुशल कारीगर घटती आय और अनिश्चित भविष्य से जूझ रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि लैब में तैयार हीरे की बढ़ती मांग के आगे प्राकृतिक पत्थर की असली चमक फीकी पड़ती जा रही है
लुटी-पिटी विरासत के बादशाह!
बेभाव उधारियां उठाकर केसीआर ने तेलंगाना का दीवाला ही निकाल दिया. उनके इस फितूर का खामियाजा अगले एक दशक तक राज्य को उठाना पड़ेगा
अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश
कांग्रेस ने यूपी में जनआंदोलनों और कई सारे कार्यक्रमों के जरिए अपने जनाधार विस्तार की रणनीति बनाई. पिछड़ों, दलित और अल्पसंख्यकों पर विशेष रूप से फोकस
दिलचस्प से हरियाणे का सियासी सांग
सत्ता-विरोधी भावना का मुकाबला करते हुए कांग्रेस से अपने गढ़ को बचाने की पुरजोर कोशिश में लगी भाजपा. दूसरी ओर अंदरुनी लड़ाई के बावजूद कांग्रेस उम्मीदों पर सवार
उम्मीदों में उलझीं कुछ गुत्थियां भी
विरोध के बावजूद भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' की योजना को आगे बढ़ाने की ठानी. अगर ऐसा हुआ तो ये सवाल पूछे जाएंगे कि इससे हमारा लोकतंत्र मजबूत होगा या कमजोर?
"सड़क हादसो जितनी मौतें तो युद्ध में भी नहीं हुई"
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी देश के हाइवे पर बढ़ते हादसों को लेकर काफी चिंतित हैं और उन्होंने खतरों को घटाने के लिए कई कदम उठाए हैं. लेकिन ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और एसोसिएट एडिटर अभिषेक जी. दस्तीदार के साथ बातचीत में उन्होंने साफ-साफ स्वीकार किया कि यही इकलौता मामला है जिसमें वे अपने तय किए लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहे. बातचीत के संपादित अंशः
जान के दुश्मन हाइवे
खराब सड़क डिजाइन, लचर पुलिसिया व्यवस्था, प्रशिक्षण की कमी, नाकाफी सुरक्षा इंतजामात, और हादसे के वक्त इलाज की सुविधा के अभाव की वजह से भारत की सड़कें दुनिया में सबसे ज्यादा जानलेवा-
मेडिकल कुंडली से हो रहा शादी का फैसला
बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा तहसील के लक्ष्मी नगर के रहने वाले विकेश और अंजलि की दो माह पहले शादी हुई है. सगाई के वक्त जब दोनों के परिजन कुंडली मिलाने की तैयारी कर रहे थे तभी विकेश और अंजलि बागीदौरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दूसरे की मेडिकल रिपोर्ट मिलान कर रहे थे. दरअसल, विकेश और अंजलि ने सिकल सेल एनीमिया की जांच कराई थी और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही दोनों ने शादी की सहमति दी. विकेश कहते हैं, \"हमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम ने सिकल सेल बीमारी के बारे में जानकारी दी थी. अगर हम दोनों में से किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती तो हम शादी नहीं करते.\"