नवंबर 2021 में चंद्रबाबू नायडू बड़े ही जज्बाती अंदाज में आंध्र प्रदेश विधानसभा से वॉकआउट किया था. महिला सशक्तिकरण पर बहस के दौरान अपनी पत्नी भुवनेश्वरी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों से आहत नायडू ने डबडबाई आंखों के साथ हाथ जोड़कर कसम खाई थी कि वे जब तक मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, इस शासन सभा में नहीं लौटेंगे. करीब ढाई साल बाद 74 वर्षीय तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो की वह प्रतिज्ञा सफल हुई है.
निवर्तमान मुख्यमंत्री वाइ.एस. जगनमोहन रेड्डी की युवजन श्रमिक रायतू कांग्रेस पार्टी (वाइएसआरसीपी) के खिलाफ सत्ता विरोधी हवा का फायदा उठाकर नायडू ने अपनी पार्टी टीडीपी को जबरदस्त विजय दिलाई और अब वे चौथी बार राज्य की कमान संभालेंगे. उन्होंने 135 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की और अपने सहयोगी दलों-पवन कल्याण की जनसेना पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के साथ वे सभी 16 लोकसभा सीटें जीत लीं जिन पर उन्होंने उम्मीदवार खड़े किए थे. वाइएसआरसीपी की बुरी तरह से हार हुई. वह 175 सदस्यों की विधानसभा में महज 11 सीटों और 25 संसदीय सीटों में से 4 तक सिमट गई.
この記事は India Today Hindi の 19th June, 2024 版に掲載されています。
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.