अपना 18वां जन्मदिन इसी सितंबर में मनाने जा रहीं फरीदाबाद की देवशी शर्मा ने इस साल मार्च में बारहवीं की परीक्षा दी है. वह ग्रेजुएशन के बाद कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई करना चाहती हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए उन्होंने मई में कॉमन यूनिवर्सिटी ऐंट्रेंस टेस्ट-अंडर ग्रेजुएशन (सीयूईटी-यूजी) दिया. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के हिसाब से इस परीक्षा के नतीजे 13 जून को आ जाने थे, मगर एजेंसी का हिसाब इन दिनों सही बैठ नहीं पा रहा. नतीजे तय समय से डेढ़ महीने बाद 28 जुलाई को आए.
देरी से होने वाली दिक्कतों के बारे में देवशी कहती हैं, "मेरे पांच महीने खराब हो गए. मेरे साथ पढ़ाई करने वाले सभी बच्चों की यही परेशानी है. मार्च में हमारी 12वीं की परीक्षा हो गई थी. एनटीए ने जो कैलेंडर पहले जारी किया था, उसके हिसाब से अप्रैल में सीयूईटी-यूजी हो जानी थी. लेकिन हमारी 12वीं बोर्ड के तकरीबन डेढ़ महीने बाद यह परीक्षा हुई. पहले तो डेढ़ महीने की यह देरी समझ से परे है. फिर उसके बाद रिजल्ट में डेढ़ महीने की देरी की गई. 28 जुलाई को रिजल्ट आने का यह मतलब है कि पूरे अगस्त काउंसलिंग और एडमिशन की प्रक्रिया चलेगी. यानी मेरे जैसे लाखों स्टुडेंट्स का पांच महीने का समय बर्बाद हो गया."
इस बार सीयूईटी-यूजी में देशभर के तकरीबन 14 लाख बच्चे शामिल हुए थे. ग्रेजुएशन में अलग-अलग विषयों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली यह परीक्षा 15 मई से 29 मई के बीच आयोजित की गई. जिन पांच महीनों की बर्बादी के बारे में देवशी बता रही हैं, उसके और गहरे परिणामों को दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाने वाले एसोसिएट प्रोफेसर देबराज मुखर्जी रेखांकित करते हैं. वह कहते हैं, "सीयूईटी-यूजी में शामिल होने वाले अधिकांश बच्चे 17-18 साल की उम्र के हैं. लर्निंग कर्व के हिसाब से देखें तो यह उम्र सबसे प्रोडक्टिव होती है. इस उम्र में बच्चों में कुछ नया सीखने की ललक होती है और उनमें सीखने की क्षमता भी होती है. ऐसे में इस उम्र के बच्चों के लिए समय की यह बर्बादी और ज्यादा अखरने वाली बात है."
この記事は India Today Hindi の August 14, 2024 版に掲載されています。
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