प्रगति की तेज रफ्तार आवाजाही
India Today Hindi|August 28, 2024
भारत का महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर अभियान सड़क, रेलवे और विमानन की सूरत बदल रहा, जलवायु अनकूल कदमों की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ाकर 2047 तक देश तेज विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो रहा
अभिषेक जी. दस्तीदार
प्रगति की तेज रफ्तार आवाजाही

मारी अमीरी ने सड़कें नहीं बनाईं, बल्कि हमारी सड़कों ने हमारी संपत्ति बढ़ाई. " पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कनेडी के यह चर्चित उद्धरण केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के दफ्तर में प्रतीक्षा कक्ष की दीवार पर चस्पां है. गडकरी का लक्ष्य ऐसा राजमार्ग नेटवर्क बनाना है जो दुनिया में बेहतरीन हो, जिससे माल और यात्रियों की आवाजाही में बहुत कम समय लगे और भारतीय उद्योग की होड़ लेने की ताकत बढ़े. राजमार्ग क्षेत्र को हर वर्ष 10,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों के निर्माण, विकास और रखरखाव के लिए 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि मिलती है. पिछले एक दशक में यह नेटवर्क करीब 60 फीसद बढ़कर करीब 1.4 लाख किलोमीटर हो चुका है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो पिछले 10 वर्षों में बेहतर राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और इलेक्ट्रॉनिक टोल सुविधा के कारण मालवाहक ट्रकों के यातायात के समय में करीब 20 फीसद की कमी आई है. ग्रीनफील्ड दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे दोनों शहरों के बीच यात्रा पर लगने वाला समय 48 घंटे से घटाकर सिर्फ 12 घंटे कर देगा. रेलवे भी इसी तरह के परिवर्तन का गवाह बन रहा है. पिछले एक दशक में सरकार ने इस पर वित्तीय खर्च काफी बढ़ाया है. वार्षिक परिव्यय 2014-15 में करीब 53,000 करोड़ रुपए से बढ़कर इस वित्त वर्ष में 2.5 लाख करोड़ रुपए हो गया है. दशक भर में साल-दर-साल 15 फीसद वृद्धि को दर्शाता है. 2047 को लेकर सरकार का विजन यही है कि दिल्लीकोलकाता, या चेन्नै और मुंबई जैसे शहरों के बीच यात्रा करने में ट्रेन या ट्रकों को भी 6-8 घंटे से अधिक समय नहीं लगना चाहिए.

बुनियादी ढांचे पर भारी जोर

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