लखनऊ पीजीआइ अस्पताल की डॉ. रुचिका टंडन 1 अगस्त को सुबह एक फोन आया: "हम ट्राइ (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी) से बोल रहे हैं. पुलिस ने आपका फोन बंद करने के निर्देश दिए हैं क्योंकि मुंबई में आपके नंबर के खिलाफ 22 शिकायतें दर्ज हुई हैं. इस नंबर से लोगों को उत्पीड़न के मैसेज जा रहे हैं." डॉ. टंडन ने ऐसा होने से इनकार किया तो फोन करने वाले ठग ने कहा, "हो सकता है किसी ने आपको फंसाया हो. आप आइपीएस अफसर से बात कर लें. आइपीएस का वेश धरे शख्स ने कहा कि बात सिर्फ आपके फोन नंबर की नहीं है, आपके खाते से भी 7 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. आपको तत्काल अरेस्ट करने के आदेश हुए हैं. आप कहीं आ-जा नहीं सकतीं. हम आपको डिजिटली कस्टडी में लेते हैं. आप इस बात को किसी को बता नहीं सकतीं, बताया तो तीन से पांच साल की जेल और होगी." ठगों ने एक नया फोन खरीदने को कहा और उसमें व्हाट्सऐप और स्काइप डाउनलोड करवाकर उन्हें कनेक्टेड रखा. इसके बाद बहरूपिए ठगों ने वीडियो कॉल पर सात दिनों तक पूरा केस चलाया. डॉ. टंडन के मुताबिक, "वीडियो पर कोर्टरूम था, जज थे, आइपीएस अफसर और सीबीआइ वाले भी थे. उन लोगों ने कहा कि वेरिफिकेशन के लिए सभी अकाउंट्स में जो भी पैसा है, उसे सरकारी अकाउंट में ट्रांसफर करना है. अगर मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हुई है तो पैसा वापस हो जाएगा. इन ठगों की वीडियो स्क्रीन पर सीबीआइ का लोगो था और सभी ने अपने परिचय पत्र भी दिखाए." डॉ. टंडन के पांच खातों से ठगों ने 2.81 करोड़ रुपए अपने सात विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा लिए वे 1 से 8 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट रहीं और 10 तारीख को उन्होंने पुलिस को अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत की. पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है.
この記事は India Today Hindi の September 18, 2024 版に掲載されています。
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