वे बदलाव को तरतीब देते हैं, बारीकियों के बीच रास्ता बनाते हैं, और उन महीन ब्योरों को कागजों पर उकेरते हैं जो अक्सर नीति का मुख्य पाठ भी होते हैं. व्यापक नजरिया अपनाते हुए यहां ह अफसरशाही से ऐसे 10 शख्स को चुना है जो भारत के राजकाज के ढांचे की रीढ़ हैं और सुरक्षा से लेकर वित्तीय स्थिरता तथा न्याय मुहैया कराने तक देश के हर पहलू को प्रभावित करने वाली भूमिका निभा रहे हैं. मसलन, प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पी.के. मिश्र कई मंत्रालयों की नीतियों का तानाबाना बुनते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भू-रणनीति से लेकर प्रतिरक्षा और आतंकवाद से निबटने तक हर चीज संभालते हैं. आरबीआई गवर्नर हुए शक्तिकांत दास देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करते हैं. संविधान के रखवाले भारत के प्रधान न्यायाधीश के साथ प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआइ के प्रमुख भी हमारी सूची में हैं, जिनका आदेश अहम होते भी अक्सर न्यायिक सवालों के दायरे में आता है. उच्च पदों पर आसीन ये दस लोग एक तरह से उन बंटी हुई जिम्मेदारियों और अनिवार्यताओं का निर्वाह करते हैं जो भारत जैसे जटिल देश को चलाने के लिए जरूरी हैं. ये कई बार कार्यपालक का काम करते हैं, तो कई बार अंत:करण के रखवाले का या सियासी तबके के सलाहकार का. बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम और अरविंद पानगड़िया फाइल के हाशिये पर कुछ ऐसा लिख सकते हैं जो सुदूर भविष्य पर असर डा. उनके प्रभाव का कोई सानी नहीं. वे सत्ता ही नहीं बल्कि उस जवाबदेही का भी मूर्त रूप हैं जो देश की संवैधानिक-लोकतांत्रिक अखंडता की रक्षा के लिए जरूरी है. इस लौ को जलाए रखने के लिए विजन की जरूरत होती है, जिसका कोई श्रेय तक नहीं मिलता.
1 पी. के. मिश्र, 76 वर्ष
प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी
सब क्रियान्वयन शांति के साथ
この記事は India Today Hindi の November 13, 2024 版に掲載されています。
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
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हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
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निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
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अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.