किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
India Today Hindi|November 27, 2024
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
रोहित परिहार
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?

शुरुआत में आई खबर काफी हैरान करने वाली थी - 14 अक्तूबर को राजस्थान वन विभाग की एक रिपोर्ट में बताया गया कि प्रसिद्ध रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में 25 बाघ 'लापता' हैं. इनमें से 14 जानवरों के बारे में कुछ महीनों से कोई जानकारी नहीं मिली थी जबकि 11 अन्य एक साल से अधिक समय से लापता थे. आधिकारिक गणना के मुताबिक, 2022 में रणथंभौर में बाघों की कुल संख्या 52 थी. सबसे बड़ा डर: कहीं रणथंभौर का हश्र भी राजस्थान के सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य जैसा न हो जाए, जहां 2006 में स्थानीय बाघों की आबादी खत्म हो गई थी. हालांकि, 6 नवंबर को अच्छी खबर आई. वन अधिकारियों को 25 में 10 बाघों के बारे में पता चल गया. इस पूरे प्रकरण में दो जांच के आदेश दिए जा चुके हैं. 4 नवंबर को राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और मुख्य वन्यजीव वार्डन पवन कुमार उपाध्याय ने बाघों के गायब होने की जांच के आदेश दिए. वहीं, तीन दिन बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) से इस मामले में विस्तृत खुफिया जानकारी जुटाने को कहा. एनटीसीए सदस्य सचिव गोविंद सागर भारद्वाज के नेतृत्व में एक टीम ने जयपुर पहुंचकर सीधे तौर पर नजर आए या ट्रैप कैमरों में कैद बाघों पर रिपोर्ट का आकलन किया, जो गिनती के लिए अपनाई जाने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है. इसके अलावा, जानवरों के पदचिह्नों का भी आकलन किया गया, जिसके जरिए भारत में बाघों की संख्या के बारे में अनुमान लगाया जाता है. बहरहाल, रणथंभौर में बाघों के 'लापता' होने की घटना बाघ संरक्षण से जुड़े सामान्य मुद्दों - आवास प्रबंधन, शिकार, मानव-पशु संघर्ष, बीमारियों और अवैध शिकार के खतरों से आगे बढ़कर बाघों की संख्या अविश्वसनीय होने की समस्या की ओर भी ध्यान आकृष्ट करती है. हालांकि, एनटीसीए की हर चार साल में होने वाली बाघ गणना अब कैमरों के इस्तेमाल के कारण अधिक विश्वसनीय हो गई है, लेकिन विशेषज्ञों को लगता है कि स्थानीय अधिकारियों की तरफ से मौतों, चोट-चपेट, शावकों के जन्म और बाघों के अन्य स्थानों पर जाने के कारण नजर न आने जैसी दिन प्रति दिन की गतिविधियों की निगरानी में लापरवाही बरतना असली समस्या है.

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