लंबी छलांग लगाने की ओर देखने वाले भारत के उद्योग जगत के लिए कुशल और अकुशल श्रमिकों की भारी कमी उसकी महत्त्वाकांक्षा को पीछे खींच रही है। हाल ही में देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने 25 से 30 हजार मजदूरों की कमी के बारे में बताया है। समूह के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब इसके ग्राहक परियोजनाओं को तेजी से निष्पादित करने के लिए कदम उठा रहे हैं। और ऐसा अंतर पहले कभी महसूस नहीं किया गया।
प्रतिभा की कमी अथवा अकुशलता उद्योग में एक चालू मुद्दा रहा है। लंबी समय तक चलने वाले आम चुनावों और भीषण गर्मी ने इन चीजों को और खराब किया है। ऐसा लगता है कि कुशल श्रमिकों की कमी ने भारत की इंजीनियरिंग और पूंजीगत सामान कंपनियों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। उद्योग के अधिकारियों ने इस कमी के लिए भारत की बढ़ती ऑर्डरबुक की बढ़ती मांग को जिम्मेदार बताया है, जबकि अन्य कारक भी आपूर्ति को प्रभावित कर रहे हैं।
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, 'सभी श्रमिक कुशल नहीं हैं और जिन्हें हम कुशल बनाते हैं वे बेहतर वेतन के लिए पश्चिम एशियाई देशों का रुख कर लेते हैं। इंजीनियरिंग कंपनियों के लिए वातानुकूलित कार्य वातावरण को प्राथमिकता देने श्रम आपूर्ति को प्रभावित करने वाला एक एक और बड़ा कारण है।'
मार्च में दी गई जानकारी के अनुसार, सिर्फ एलऐंडटी के पास 4.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बकाया ऑर्डर बुक है।
कमी पड़ रही भारी
この記事は Business Standard - Hindi の July 06, 2024 版に掲載されています。
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