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![इस पर कभी आपने सोचा है ? इस पर कभी आपने सोचा है ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/555156/Tab-a7Net1605599149613/crp_1605604733.jpg)
इस पर कभी आपने सोचा है ?
जो मरने के बाद भी साथ नहीं छोड़ता, थोड़ा समय अकेले रहकर उस (परमात्मा) के विषय में विचारें।
![ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ? ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/537767/IlAUorPBg1603103766036/crp_1603104186.jpg)
ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ?
जप करते-करते रजो-तमोगुण शांत हो जाता है और सात्त्विक सुख का द्वार खुलता है।
![विद्यार्थी संस्कार - जिसे दुनिया ने ठुकराया उसे संत ने अपनाया विद्यार्थी संस्कार - जिसे दुनिया ने ठुकराया उसे संत ने अपनाया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/537767/yjBfQVI8o1603103511915/crp_1603104185.jpg)
विद्यार्थी संस्कार - जिसे दुनिया ने ठुकराया उसे संत ने अपनाया
दुनिया में ऐसा कोई हितैषी नहीं जितने हमारे सद्गुरु हितैषी होते हैं।
![जीवन बदलने का सामर्थ्य जीवन बदलने का सामर्थ्य](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/537767/vNCJ_oBdh1603103052655/crp_1603104183.jpg)
जीवन बदलने का सामर्थ्य
जैसे बीज में वटवृक्ष छुपा है ऐसे ही आपके अंदर ब्रह्मांडीय ऊर्जा का बीज परमात्मा' छुपा है।
![ब्रह्मवेत्ता संत ने क्यों किये ३ कुटियाओं को प्रणाम ? ब्रह्मवेत्ता संत ने क्यों किये ३ कुटियाओं को प्रणाम ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/519034/k-PuRBfBp1600864899537/crp_1600866114.jpg)
ब्रह्मवेत्ता संत ने क्यों किये ३ कुटियाओं को प्रणाम ?
जो रब की मस्ती में रहते हैं उनके सुमिरन-दर्शन से हम पवित्र होते हैं।
![असावधानी से की हुई भलाई बुराई का रूप ले लेती है असावधानी से की हुई भलाई बुराई का रूप ले लेती है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/519034/WUokRjfpf1600865795383/crp_1600866108.jpg)
असावधानी से की हुई भलाई बुराई का रूप ले लेती है
परिणाम में दुःख आये ऐसा काम बुद्धिमान नहीं करते ।
![ईमानदारी सत्यस्वरूप ईश्वर को संतुष्ट करती है ईमानदारी सत्यस्वरूप ईश्वर को संतुष्ट करती है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/519034/5asGacIJN1600864425982/crp_1600866110.jpg)
ईमानदारी सत्यस्वरूप ईश्वर को संतुष्ट करती है
आज विद्यालय-महाविद्यालयों में ऐसी पढ़ाई होती है कि बस रटारटी करके प्रमाणपत्र लो और फिर नौकरी के लिए भटकते रहो। विद्यार्थियों की आत्मशक्ति, आत्मचेतना जागृत ही नहीं होती।
![थोड़े समय में ध्यान का ज्यादा लाभ कैसे पायें ? थोड़े समय में ध्यान का ज्यादा लाभ कैसे पायें ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/519034/NVZjUOpp-1600865451873/crp_1600866109.jpg)
थोड़े समय में ध्यान का ज्यादा लाभ कैसे पायें ?
'ध्यान के लिए आवश्यक है अभ्यास' गतांक से आगे
![शरद ऋतु में कैसे रहें स्वस्थ ? शरद ऋतु में कैसे रहें स्वस्थ ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/519034/l3-rDxQSG1600865582400/crp_1600866112.jpg)
शरद ऋतु में कैसे रहें स्वस्थ ?
बाहर से सुखी होने की इच्छा ही दुःख का मूल है।
![ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ? ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/519034/xuvdvSPto1600864671910/crp_1600866113.jpg)
ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ?
ॐकार-जप से सकारात्मक ऊर्जा के साथ-साथ भगवत्प्रीति, भगवत्प्रसादजा मति उत्पन्न होती है।
![अपने प्यारे साधकों के लिए पूज्य बापूजी का संदेश अपने प्यारे साधकों के लिए पूज्य बापूजी का संदेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/500868/bRIPE_gge1597756105417/crp_1597757647.jpg)
अपने प्यारे साधकों के लिए पूज्य बापूजी का संदेश
मौन वे ही रह पाते हैं, गहरे भी वे ही उतर पाते हैं जिनका लक्ष्य परमात्मा होता है।
![गणपति-पूजन का तात्त्विक रहस्य गणपति-पूजन का तात्त्विक रहस्य](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/500868/FtBCEroow1597756681515/crp_1597757640.jpg)
गणपति-पूजन का तात्त्विक रहस्य
अपने-आपमें (आत्मस्वरूप में) 'मैं पना होना ही मुक्ति का मार्ग है।
![पाचनतंत्र ठीक करने की रहस्यमय कुंजी पाचनतंत्र ठीक करने की रहस्यमय कुंजी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/500868/QlpgqsC8q1597756926609/crp_1597757648.jpg)
पाचनतंत्र ठीक करने की रहस्यमय कुंजी
शरीर में जितने अंश में वीर्य होगा उतने अंश में प्रसन्नता होगी।
![स्वतंत्र शक्ति का मिथ्याभिमान त्यागो ब्रह्म की महिमा समझो स्वतंत्र शक्ति का मिथ्याभिमान त्यागो ब्रह्म की महिमा समझो](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/500868/OxiYN-JJc1597757237786/crp_1597757654.jpg)
स्वतंत्र शक्ति का मिथ्याभिमान त्यागो ब्रह्म की महिमा समझो
अपने दिलबर को पीठ देकर शरीर का अहं सजाओगे तो कहीं के नहीं रहोगे।
![ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ? ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/500868/pXvoAR44l1597757090581/crp_1597757649.jpg)
ॐकार का महत्त्व क्या और क्यों ?
ॐकार के जप से असाध्य मानसिक दुर्बलताएँ मिटती हैं।
![महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे? महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/485139/CF8iQACAk1595329132384/crp_1595333429.jpg)
महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे?
विवेक-वैराग्य प्रखर होने पर निर्भयता तथा साहस स्वभाव बन जाता है।
![जवानी में सुख-सुविधा का आग्रही होगा तो जल्दी बूढा बनेगा और जरा-जरा बात में बीमार हो जायेगा। जवानी में सुख-सुविधा का आग्रही होगा तो जल्दी बूढा बनेगा और जरा-जरा बात में बीमार हो जायेगा।](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/485139/51J4HL4aP1595328508388/crp_1595333435.jpg)
जवानी में सुख-सुविधा का आग्रही होगा तो जल्दी बूढा बनेगा और जरा-जरा बात में बीमार हो जायेगा।
जवानी निकल गयी तो गये...
![रक्षाबंधन का यदि यह उद्देश्य हो तो... रक्षाबंधन का यदि यह उद्देश्य हो तो...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/485139/U3bZtD7rI1595328709029/crp_1595333436.jpg)
रक्षाबंधन का यदि यह उद्देश्य हो तो...
आध्यात्मिक लाभ ही वास्तविक लाभ है, लौकिक लाभ तो धोखा है।
![विद्यार्थी संस्कार विद्यार्थी संस्कार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/485139/Y1m2Hajmn1595328122020/crp_1595333437.jpg)
विद्यार्थी संस्कार
अपने प्रति न्याय और दूसरों के प्रति उदारता यह सिद्धांत निर्दोषता की सुरक्षा करता है।
![अनुसंधान एवं विश्लेषण है सफलता की कुंजी अनुसंधान एवं विश्लेषण है सफलता की कुंजी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/g7g4_hpH01593687365218/crp_1593692996.jpg)
अनुसंधान एवं विश्लेषण है सफलता की कुंजी
व्यक्ति जिस किसी क्षेत्र में जितना एकाग्र होता है उतना ही चमकता है।
![अमृत को परोसने की परम्परा : गुरुपूनम महापर्व अमृत को परोसने की परम्परा : गुरुपूनम महापर्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/W9q6Desgv1593685915396/crp_1593692997.jpg)
अमृत को परोसने की परम्परा : गुरुपूनम महापर्व
गुरुपूनम माने बड़ी पूनम। प्रतिपदा का चाँद, द्वितीया का चाँद... ऐसे एक-एक कला बढ़ते हुए चाँद जब पूर्ण विकसित रूप में हमको दर्शन देता है तब पूनम होती है। ऐसे ही हमारे चित्त की कलाएँ बढ़ते-बढ़ते जब पूरे प्रभु की आराधना की तरफ लग जायें तो हमारे जीवन का जो उद्देश्य है वह सार्थक हो जाता है।
![पूर्णता किससे - कर्मकांड, योग या तत्त्वज्ञान से ? पूर्णता किससे - कर्मकांड, योग या तत्त्वज्ञान से ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/MEkAF2eL31593687799372/crp_1593693002.jpg)
पूर्णता किससे - कर्मकांड, योग या तत्त्वज्ञान से ?
अविद्या के बादल हटते ही ब्रह्मविद्या के बल से मति ब्रह्म-परमात्मा का प्रसाद पा लेगी।
![गुरुकृपा का ऐसा बल कि उन्मत्त हाथी हुआ निर्बल गुरुकृपा का ऐसा बल कि उन्मत्त हाथी हुआ निर्बल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/aFgcehMqI1593687546924/crp_1593692998.jpg)
गुरुकृपा का ऐसा बल कि उन्मत्त हाथी हुआ निर्बल
चलती-फिरती सद्गुरुमूर्ति में श्रद्धा अटूट हो तब शिष्य का दिव्य ज्ञान प्रकट होता है।
![ध्यान के अभ्यास से करें आत्मस्वरूप से तदाकारता ध्यान के अभ्यास से करें आत्मस्वरूप से तदाकारता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/Uwp5PVsLp1593688091323/crp_1593693000.jpg)
ध्यान के अभ्यास से करें आत्मस्वरूप से तदाकारता
ऐसा कोई दिव्य कर्म नहीं है जो परमात्मा के घड़ीभर ध्यान की भी बराबरी कर सके।
![ब्रह्मवाक्य से कैंसर हो गया कैंसल! ब्रह्मवाक्य से कैंसर हो गया कैंसल!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/oPHIRCTib1593688688430/crp_1593693004.jpg)
ब्रह्मवाक्य से कैंसर हो गया कैंसल!
शुद्ध प्रेम तो उसे कहते हैं जो भगवान और सद्गुरु से किया जाता है।
![पूज्य बापूजी का स्वास्थ्य-प्रसाद पूज्य बापूजी का स्वास्थ्य-प्रसाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/471320/7PrGfb5xe1593688353919/crp_1593693001.jpg)
पूज्य बापूजी का स्वास्थ्य-प्रसाद
८४ लाख जन्म-मरण की बीमारियाँ तो भगवान के ज्ञान से और सद्गुरु के सत्संग से ठीक होती हैं।
![संक्रामक बीमारियों से केसे हो सुरक्षा ? संक्रामक बीमारियों से केसे हो सुरक्षा ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/447183/fQpgKXHUw1588850007906/crp_1588851737.jpg)
संक्रामक बीमारियों से केसे हो सुरक्षा ?
आयुर्वेद में संक्रामक बीमारियों का वर्णन आगंतुक ज्वर (अर्थात् शरीर से बाह्य कारणों से उत्पन्न बुखार या रोग) के अंतर्गत आया है। यह किसीको होता है और किसीको नहीं, ऐसा क्यों?
![विद्यार्थी संस्कार विद्यार्थी संस्कार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/447183/xQvGecw7c1588850884001/crp_1588851736.jpg)
विद्यार्थी संस्कार
तुम भी बन सकते हो अपनी 21 पीढ़ियों के उद्धारक
![महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे? महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/447183/KRPetT4YR1588851216286/crp_1588851734.jpg)
महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे?
विवेक-वैराग्य प्रखर होने पर निर्भयता तथा साहस स्वभाव बन जाता है।
![सेवाधारियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश सेवाधारियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/402232/QTqy0_FX1579524693859/crp_1579699129.jpg)
सेवाधारियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
दूसरे का मन भगवान में लगे ऐसा काम करना यह दूसरे की भलाई है ।