श्रीकृष्ण पूर्ण अवतार क्यों?
जो कर्षित कर दे, आकर्षित कर दे, आनंदित कर दे उस परात्पर ब्रह्म का नाम श्रीकृष्ण है।
कर्षति आकर्षति इति कृष्णः।
सच पूछो तो श्रीकृष्ण ही शिष्य बने हैं, श्रीकृष्ण ही गुरु बने हैं, श्रीकृष्ण ही पिता बने हैं, माता बने हैं और श्रीकृष्ण ही बालक बनते हैं इसलिए श्रीकृष्ण का जीवन मानुषी जीवन को सर्वांगीण रूप से उन्नत करने के लिए पूर्ण अवतार माना गया है।
श्रीकृष्ण बालक भी ऐसे कि महाराज ! माँ का प्रेम झेलने में, मक्खनलीला करने में अथवा ओखली से बँधने के समय देखो तो बाल्यलीला में पूरे, योद्धाओं में योद्धे भी पूरे, ज्ञानियों में ज्ञानी भी पूरे। गीता ऐसी गायी कि विश्वविख्यात ग्रंथ हो गया और एकांतवासी तपस्वियों में भी ऐसे कि १३ साल गुरु के द्वार पर जाकर चुपचाप बैठ गये। मातृ-पितृ भक्त भी ऐसे कि अपनी पढ़ाई-लिखाई की चिंता नहीं की, पहले माँ-बाप की सेवा पूर्ण की और उसके बाद पढ़ने गये। पढ़ने में भी अत्यंत एकाग्रचित्त विद्यार्थी! मित्रता निभाने में भी श्रीकृष्ण ऐसे उदार कि गरीब सुदामा के लाये हुए तंदुल को इतना प्रेम से खाते हैं कि मानो वह अमृत हो।
जन्माष्टमी के दिन तुम भी अपने किसी बचपन के मित्र को, किसी सुदामा को अपने घर आमंत्रित करो। उसकी रूखी-सूखी तंदुल जैसी कोई चीज हो तो प्रेम से स्वीकार करो और अपना अतिथि बनाकर उस पर प्रेम बरसाओ। यह बात भी श्रीकृष्ण ने नहीं छोड़ी है, यह भी करके दिखा दिया है।
... तब जन्माष्टमी का उत्सव हो गया पूर्ण!
この記事は Rishi Prasad Hindi の August 2022 版に掲載されています。
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आत्मानंद छोड़कर महापुरुष क्यों गाँव-गाँव घूमते हैं ?
(पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से)
पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
साधिका बहन : बापूजी ! मैं बिहार में सेवाकार्यों को खूब बढ़ाना चाहती हूँ।
'राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर' से युवाओं को मिली विलक्षण ऊर्जा व सही दिशा
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि। ६ से ८ दिसम्बर तक संत श्री आशारामजी आश्रम, अहमदाबाद में ‘राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर’ हुआ। विभिन्न राज्यों से युवा भाई इस तीन दिवसीय शिविर का लाभ लेने आश्रम में आये थे ।शिविरार्थियों ने पूज्य बापूजी के दुर्लभ विडियो सत्संगों द्वारा जीवन में उत्तरोत्तर सर्वांगीण उन्नति करने की कुंजियाँ पायीं। उन्हें पूज्य बापूजी के कृपापात्र शिष्य, अखंड ब्रह्मचारी श्री वासुदेवानंदजी द्वारा हुए सत्रों में सेवा-साधना संबंधी मार्गदर्शन मिला। शिविर की कुछ मुख्य विशेषताएँ
देश की रीढ़ को टूटने से बचायें, सच्चे प्रेम दिवस की सुवास फैलायें
१४ फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस भाई को युवती भाई कहने के लायक नहीं रह महापर्व है । युवा पीढ़ी को वेलेंटाइन डे की गंदगी से बचाने, उसे सही दिशा देने और सच्चे प्रेम की पहचान कराने के लिए पूज्य बापूजी ने २००६ में इसका शंखनाद किया था । आज यह पर्व विश्व के २०० से ज्यादा देशों में सभी जाति-धर्म, मजहब, पंथ के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसकी महत्ता व आवश्यकता :
मैं हर समय तैयार रहता हूँ
23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती है । इन राष्ट्रनायक की माँ उन्हें बचपन से ही संतों-महापुरुषों के जीवन-प्रसंग व शास्त्रों की बातें सुनाती थीं । यही कारण था कि उनका जीवन सनातन संस्कृति के ऊँचे सिद्धांतों और देशभक्ति, राष्ट्रसेवा के लिए समर्पण, तत्परता, अथक परिश्रम आदि दैवी गुणों से सुसम्पन्न था । उनके जीवन का एक प्रेरणादायी प्रसंग, जिससे ये सद्गुण प्रकट होते हैं :
भगवान को वश करने का उपाय
(पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से)'रामचरितमानस' के उत्तरकांड में भगवान श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा नगरवासियों को बुलाने की बात आती है।
सरकार बापूजी को जल्द-से-जल्द रिहा करे : संत-समाज
स्वामी योगेश्वरानंद गिरिजी : सनातन धर्म में जब-जब भी कोई संत-महात्मा अपने देश की सीमाओं से बाहर निकलकर कार्य करता है तो सेक्युलरिस्ट लोगों ने तय कर रखा है कि हिन्दुओं के स्वाभिमान पर चोट करनी है।
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)