वह तहसीलों में, जिलों में तो विजयी हुआ, पूरे राज्य में भी उसने डंका बजा दिया। तो वाहवाही की भूख जगी, 'मैं राज्य-विजेता बन जाऊँ, मेरे को प्रमाणपत्र मिले।'
राजा के पास गया, बोला : ‘‘पूरे राज्य में मेरी बराबरी का कोई पहलवान नहीं है। आप मेरे को राज्य-पहलवान घोषित कर दें, प्रमाणित कर दें।"
राजा सत्संगी था, किन्हीं पहुँचे हुए गुरु (ब्रह्मवेत्ता महापुरुष) के चरणों में जाता था । ऐसे गुरु के सम्पर्क में जो रहते हैं वे सौभाग्यशाली होते हैं, बाकी तो संसार में पछाड़े जाते हैं। हिटलर पछाड़ा गया, सिकंदर पछाड़ा गया, सीजर पछाड़ा गया लेकिन शिवाजी महाराज नहीं पछाड़े गये, समर्थ रामदासजी के चरणों में रहते थे। हम नहीं पछाड़े जायेंगे कभी भी क्योंकि हम हमारे सद्गुरु के सम्पर्क में हैं।
राजा ने कहा : ‘‘पूरे राज्य में तुम सर्वोपरि पहलवान हो ? सबको हरा दिया ?"
पहलवान बोला : "हाँ"
この記事は Rishi Prasad Hindi の February 2023 版に掲載されています。
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