Chakmak - May 2021Add to Favorites

Chakmak - May 2021Add to Favorites

Få ubegrenset med Magzter GOLD

Les Chakmak og 9,000+ andre magasiner og aviser med bare ett abonnement  Se katalog

1 Måned $9.99

1 År$99.99 $49.99

$4/måned

Spare 50%
Skynd deg, tilbudet avsluttes om 11 Days
(OR)

Abonner kun på Chakmak

Kjøp denne utgaven $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Gave Chakmak

I denne utgaven

Chakmak issue no 416, May 2021

इकाइयाँ

जो लोग स्कूल गए होंगे वे इकाइयों का महत्व ज़रूर जानते होंगे। कारण यह है कि परीक्षा में यदि उत्तर के साथ इकाई नहीं लिखी तो नम्बर कटते हैं। जैसे यदि लम्बाई नापने की बात है तो सिर्फ 20 लिखने से काम नहीं चलता लिखना पड़ता है कि यह 20 सेंटीमीटर है, 20 किलोमीटर है या 20 फुट है या 20 इंच। यह तो हुई परीक्षा की बात और नम्बर कटने की बात लेकिन इकाइयों का महत्व हमें कभी-कभी भयानक हादसों के बाद स्पष्ट हो पाता है।

इकाइयाँ

1 min

भुतहा जामुन

हमारे गाँव में जामुन का एक पेड़ था। उसके जामुन इतने मीठे थे कि दाँत लगाओ तो मानो मुँह में शर्बत घुल जाए। पर एक अजीब बात थी। उस जामुन में कोई बीज नहीं होता था। लोग कहते थे कि उस पेड़ पर एक भूत रहता था। उसे जामुन के बीज खास पसन्द थे।

भुतहा जामुन

1 min

एक छींक

सभी ने एक मुँह से उसे दिलासा तो दी थी। पर सभी के चेहरे के भाव बिलकुल अलग-अलग थे। इस तरह के बर्ताव को देख अनामिका समझ नहीं पा रही थी कि क्या सच में यह सब उसके छींकने की वजह से हो रहा है। अगर हाँ, तो वह तो मामूली-सी छींक थी।

एक छींक

1 min

बचपन के कपड़े

सबसे पहली याद तब की है जब कुछ बड़े हो गए थे। यानी कक्षा दसवीं में थे। साल 1971। उन दिनों भी बोर्ड परीक्षाओं की तारीख और रिजल्ट का ऐसा ही शोर होता था। आज टीवी और दूसरे माध्यमों की वजह से यह और भी ज़्यादा होता है। मानो बोर्ड की परीक्षा ना हो, कोई विश्व युद्ध हो।

बचपन के कपड़े

1 min

Les alle historiene fra Chakmak

Chakmak Magazine Description:

UtgiverEklavya

KategoriChildren

SpråkHindi

FrekvensMonthly

Children magazine in Hindi, A monthly science magazine for children that gives space to literature and art as well. Created for children 11-14 years old, it ignores stereotypes by treating children as sensible beings, speaking to them in a language of equals

  • cancel anytimeKanseller når som helst [ Ingen binding ]
  • digital onlyKun digitalt