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सफेद गुब्बारे
अचानक से गुब्बारे मेरे चारों ओर मँडराने लगे! दूध जैसे रंग के, नुकीले, मेरे शरीर से भी बड़े। एक गुब्बारा मेरे मुँह में घुस गया। एक-एक करके वो मेरे मुँह में घुसे जा रहे थे। मैं चिल्लाना चाहता था। पर गला गुब्बारों से ठसाठस भर गया। उनकी नोक कई पिनों जैसी चुभ रही थीं।
पृथ्वी पर कुल कितने टी. रेक्स थे?
एक अनुमान है कि क्रेटेशियस काल के दौरान किसी एक समय में लगभग 20,000 टी. रेक्स पृथ्वी पर जीवित थे। यानी किसी एक समय में मध्य प्रदेश के बराबर क्षेत्र में लगभग 3,390 टी. रेक्स घूमते थे।
माल्टे वाले बीड़ा जी
पहली कहानी
नन्हा राजकुमार
लेखक को बचपन में बड़ों ने चित्र बनाने से हतोत्साहित किया तो वह पायलट बन बैठा। अपनी एक यात्रा के दौरान उसे रेगिस्तान में जहाज़ उतारना पड़ा। वहाँ उसकी भेंट एक छोटे-से राजकुमार से हुई। और फिर परिचय का सिलसिला शुरू हुआ। राजकुमार ने बताया कि वह एक छोटे-से ग्रह का निवासी है। राजकुमार ने अपने ग्रह के बारे में और बहुत-सी विचित्र बातें बताईं। अब आगे...
छोटी-सी फरमाइश
तालाबन्दी में बचपन
चालीस अलग-अलग फलों वाला एक पेड़
एक कलाकृति
मध्याह्न कब होता है?
लोकल नून पता करने के तीन तरीके
नन्हा राजकुमार
अब तक तुमने पढ़ा... लेखक को बचपन में बड़ों ने चित्र बनाने से हतोत्साहित किया तो वह पायलट बन बैठा। अपनी एक यात्रा के दौरान उसे रेगिस्तान में जहाज़ उतारना पड़ा। वहाँ उसकी भेंट एक नन्हे राजकुमार से हुई, जो किसी दूसरे ग्रह का निवासी है। राजकुमार ने लेखक को अपने ग्रह के बारे में बहुत-सी विचित्र बातें बताईं। आकाश से विचरते हुए उसने कुछ अलग-अलग ग्रहों में जाने के बारे में सोचा। पहले ग्रह में उसकी मुलाकात एक ऐसे राजा से हुई जो उस ग्रह पर अकेले रहता था। अब आगे....
मकड़ी का जाला
मकड़ी की बुनाई पर तितली को बड़ा फख था। “किसका होगा ऐसा घर! इतना महीन! पारदर्शी! उस पार पूरी दुनिया देखी जा सके। न ज़मीन, न आसमान। हवा के बीचोंबीच झूलता।”
तकिए में सुरक्षित ड्रेस
तालाबन्दी में बचपन
प्रवासी पक्षियों के फ्लाइवे
एशियाई प्रवासी पक्षी फ्लाइवे
इन्स्टलेशन कला
कला के आयाम
टाइम पास
तालाबन्दी में बचपन
चिट्ठिये पंख लगा के उड़ जा
कुछ पन्द्रह-सोलह साल की उम्र में मेरा लता मंगेशकर से उम्र भर का रिश्ता बना।
गलियाँ, आँगन और भूत
बात उन दिनों की है जब शाम होते ही गलियाँ आँगन में बदल जाती थीं।
नन्हा राजकुमार
भाग -8
'सुनो छोटी-सी गुड़िया की लम्बी कहानी'
लता जी के बचपन और संघर्ष की दास्तान
हँसी की खुशी
"जब तुम्हारी क्लास खतम हो चुकी है तो इतनी देर से फोन क्यों चला रही हो?" मम्मी की डाँट से वह परेशान हो गई और मम्मी पर भड़क उठी, “क्या है आपको। मुझे अच्छा लगता है और कभी आपने अपने से दिया है फोन मुझे! अब देखने दो!"
नन्हा राजकुमार
अब तक तुमने पढ़ा... लेखक को बचपन में बड़ों ने चित्र बनाने से हतोत्साहित किया तो वह पायलट बन बैठा। अपनी एक यात्रा के दौरान उसे रेगिस्तान में जहाज़ उतारना पड़ा। वहाँ उसकी भेंट एक नन्हे राजकुमार से हुई, जो किसी दूसरे ग्रह का निवासी है। राजकुमार ने लेखक को अपने ग्रह के बारे में बहुत-सी विचित्र बातें बताई। उसने लेखक को अपने प्रिय फूल के बारे में विस्तार से बताया। अब आगे...
कीटन की रहस्यमयी बीमारी
उस वक्त तक कीटन के दिल की धड़कन भी तेज़ होने लगी थी और उसके चेहरे पर गिरगिट समान रंग आने-जाने लगे थे। पर क्योंकि उसे ज़्यादा नखरा करने की आदत नहीं थी, वह किसी तरह रात 11 बजे घर लोट बिस्तर पर लेट गया। लेकिन नींद बिलकुल गायब थी।
आज दलिए को क्या हो गया
हम सभी को मूंग दाल और सब्जियों से बना दलिया बहुत पसन्द है। इसलिए यह एक ठीकठाक ही विकल्प लग रहा था। पर आज कुछ अजब-सा हुआ हमारे यहाँ...
अलविदा कमला भसीन
ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो ज़िन्दगी में इतनी अधिक व्यक्तिगत गर्दिशें झेलने के बाद भी हर पल जश्न मनाते हैं और फिर भी समाज को इतना कुछ देकर जाते हैं। कमला इसकी एक जीती-जागती मिसाल थीं। वो लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा थीं।
मेरी डायरी का एक पन्ना
कल एक बहुत अच्छा दिन था। मेरे घर के छोटे बगीचे में दो छोटे कबूतर के चूज़ों का जनम हुआ!
बातचीत - हमारे रोज़मर्रा के जीवन के कुछ मददगार लोगों से
रोज़मर्रा के जीवन में हमारी अलग-अलग तरह से विविध लोग मदद करते हैं। हमने सोचा कि क्यों ना हम इनके बारे में थोड़ा और जान लें। सो इस अंक के लिए हमने बच्चों को ऐसे कुछ लोगों का इंटरव्यू करने के लिए कहा था। हमें भेजे गए इंटरव्यू में से कुछ तुम यहाँ पढ़ सकते हो।
जब हमारे अपने ही हमें डराएँ...
बचपन में हम सब को बड़ों ने कभी ना कभी डराया है। डराने के तरीके और कारण अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मोटे तौर पर हमें डराने का कारण होता है कि हम बस उनका कहा मान लें। इस अंक के लिए हमने तुमसे ऐसी ही कुछ बातें लिख भेजने को कहा था। बड़ी संख्या में बच्चों से इसके लिए जवाब मिले। कुछ जवाब तुम इन पन्नों में पढ़ सकते हो...
मीरा की चिट्ठी
कुछ साल पहले की ही बात है। मीरा और मैं एक ही कक्षा में पढ़ते थे। वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी। हम साथ खेलते थे, साथ-साथ खाते थे। हमारी शायद ही किसी बात पर टोकाटोकी हुई हो। हमारी दोस्ती की सुनहरी कहानी तो कहने लायक है।
मुझे खाने को चूहा कब मिलेगा!!
छोटा कहानी
वक्त-वक्त की बात है
हम सबमें हम सबका वक्त रहता है। मैंने सोचा, “चलो आज एक दोस्त से मिलके आता हूँ।”
दिल का रास्ता
मुझे टिफिन लव स्टोरी काफी प्यारी और मासूम लगती हैं। कितना ख्याल होता है उसमें। टिफिन किसी चिट्ठी की तरह एक-दूसरे तक पहुँचता है। खुशबुओं के साथ खुलता और जादू की तरह ज़बान पर घुलता...
ड्रेस जो छोटी पड़ गई
तालाबन्दी में बचपन