महाभारत और सौंदर्यशास्त्र की चरम अनुभूति
Pratiman|January - June 2020
यथार्थ का अतिक्रमण : प्राचीन और आधुनिक आख्यानों का अंतर
सुदीप्त कविराज
महाभारत और सौंदर्यशास्त्र की चरम अनुभूति

Denne historien er fra January - June 2020-utgaven av Pratiman.

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महाभारत और सौंदर्यशास्त्र की चरम अनुभूति
Pratiman

महाभारत और सौंदर्यशास्त्र की चरम अनुभूति

यथार्थ का अतिक्रमण : प्राचीन और आधुनिक आख्यानों का अंतर

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January - June 2020
भविष्य के महानायक या 'एक असम्भव सम्भावना'?
Pratiman

भविष्य के महानायक या 'एक असम्भव सम्भावना'?

गाँधी एक अर्थ में अनूठे हैं भारत के इतिहास में। भारत के विचारशील व्यक्ति ने कभी भी समाज, राजनीति और जीवन के संबंध में सीधी कोई रुचि नहीं ली है। भारत का महापुरुष सदा से पलायनवादी रहा है। उसने पीठ कर ली है समाज की तरफ़। उसने मोक्ष की खोज की है, समाधि की खोज की है, सत्य की खोज की है, लेकिन समाज और इस जीवन का भी कोई मूल्य है यह उसने कभी स्वीकार नहीं किया। गाँधी पहले हिम्मतवर आदमी थे जिन्होंने समाज की तरफ़ से मुँह नहीं मोड़ा। वह समाज के बीच खड़े रहे और जिंदगी के साथ और जिंदगी को उठाने की कोशिश उन्होंने की। यह पहला आदमी था जो जीवनविरोधी नहीं था, जिसका जीवन के प्रति स्वीकार का भाव था।

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January - June 2020
भाषा परिवार और सभ्यता का नस्ली सिद्धांत
Pratiman

भाषा परिवार और सभ्यता का नस्ली सिद्धांत

अठारहवीं से लेकर उन्नीसवीं सदी के दौरान युरोप के बौद्धिक मानस पर धर्म, समाज, राष्ट्र और नस्ल की श्रेष्ठता को भाषाओं की श्रेष्ठता के आईने में देखने का रुझान हावी था।

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January - June 2020
भय की महामारी
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भय की महामारी

यह देखना एक त्रासद अनुभव है कि जिस कोविड-19 के भय से मानव इतिहास के सबसे बड़े परिवर्तनों में से एक के घटित होने की आशंका है, वह भय बेहद अनुपातहीन और अतिरेकपूर्ण है। इस बात के भी कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं कि इन प्रतिबंधों से वायरस के संक्रमण या इससे होने वाली कथित मौतों को रोका जा सकता है। बेलारूस, निकारागुआ, तुर्की, स्वीडन, नार्वे, तंजानिया, स्वीडन, जापान आदि अनेक देशों ने डब्ल्यूएचओ की प्रत्यक्ष और परोक्ष सलाहों तथा मीडिया द्वारा बार-बार लानत-मलामत किये जाने के बावजूद या तो बिल्कुल लॉकडाउन नहीं किया, या फिर बहुत हल्के प्रतिबंध रखे। इनमें से किसी देश में कहीं अधिक मौतें नहीं हुई हैं। यह सही है कि बड़ी संख्या में लोगों के कोरोना-संक्रमण की पुष्टि हो रही है, लेकिन उससे बड़ा सच यह है कि यह वायरस उन संक्रमित लोगों में से अधिकांश लोगों को 'बीमार' तक कर पाने में सक्षम नहीं है।

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January - June 2020
औपनिवेशिक भारत में हिंदी का विज्ञान-लेखन
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औपनिवेशिक भारत में हिंदी का विज्ञान-लेखन

उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश भारत में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के खुलने और स्कूली शिक्षा के प्रसार के साथ ही भारतीय भाषाओं में विभिन्न विषयों की पाठ्य -पुस्तकों की ज़रूरत भी शिद्दत से महसूस की गयी।

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January - June 2020
हिंसक आर्थिकी का प्रतिरोध
Pratiman

हिंसक आर्थिकी का प्रतिरोध

मशीन को उसके उचित स्थान पर बैठाना

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July - December 2019
राजपूत और मुग़ल:संबंधों का आकलन
Pratiman

राजपूत और मुग़ल:संबंधों का आकलन

देशज इतिहासकारों की दृष्टि में

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July - December 2019
यौन-हिंसा और भारतीय राज्य
Pratiman

यौन-हिंसा और भारतीय राज्य

विसंगतियों के आईने में

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July - December 2019
मेरी अंग्रेज़ी की कहानी
Pratiman

मेरी अंग्रेज़ी की कहानी

अंग्रेज़ी जातिगत विशेषाधिकारों को मजबूत करती है, वर्गीय गतिशीलता के नियम तय करती है और व्यक्ति को एजेंसी से लैस करती है। क्या अंग्रेजों के सामाजिक इतिहास का कोई आत्मकथात्मक आयाम उसकी इस भूमिका की ख़बर दे सकता है? प्रस्तुत निबंध में इसी जोखिम से मुठभेड़ करने की कोशिश की गयी है।

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July - December 2019
भारोपीय भाषा परिवार, हिंदी और उत्तर-औपनिवेशिकता
Pratiman

भारोपीय भाषा परिवार, हिंदी और उत्तर-औपनिवेशिकता

समीक्ष्य कृति हिंदी की जातीय संस्कृति और औपनिवेशिकता के शीर्षक से ही स्पष्ट है कि इसे उत्तर-आधुनिक, सबाल्टर्न और उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श के 'सैद्धांतिक निष्कर्षों' के प्रभाव में लिखा गया है।

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July - December 2019