पुस्तकालय में डिस्प्ले का महत्व
Shaikshanik Sandarbh|January - February 2020
हमारा पुस्तकालय गौरा गाँव में एक छोटे-से कमरे में संचालित होता है। यह ढेर सारी किताबों और डिज़ाइनर सूचना पटलों से लैस तो नहीं है, पर हमारी कोशिश होती है कि हम एक पुस्तकालय के लिए ज़रूरी सभी सामग्री इस छोटे-से पुस्तकालय में ला पाएँ।
नीतू यादव
पुस्तकालय में डिस्प्ले का महत्व

हमारे पुस्तकालय में 5 से 21 वर्ष तक के 108 बच्चे दर्ज हैं, और 15 से 35 बच्चे प्रतिदिन मौजूद होते ही हैं। इस पुस्तकालय में 100-120 किताबें हैं। अपने इस संग्रह को हम हर दो-तीन माह में बदलते रहते हैं।

Denne historien er fra January - February 2020-utgaven av Shaikshanik Sandarbh.

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हँसाते - रुलाते, रिश्ते - नाते
Shaikshanik Sandarbh

हँसाते - रुलाते, रिश्ते - नाते

किशोरावस्था में लड़के अनेक शारीरिक व भावनात्मक बदलावों से गुजर रहे होते हैं। पितृसत्तात्मक सामाजिक ताने-बाने में अक्सर इन बदलावों पर खुलकर बातचीत कर पाना और एक स्वस्थ नज़रिया विकसित कर पाना सम्भव नहीं होता। इसी कमी को ध्यान में रखकर एकलव्य ने बेटा करे सवाल किताब विकसित की है जिसके अलग-अलग अध्यायों में किशोरावस्था के विभिन्न आयामों व उनके सामाजिक-सांस्कृतिक, शारीरिक व भावनात्मक पहलुओं की चर्चा की गई है। आइए, पढ़ते हैं इस किताब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा।

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March - April 2022
हिन्दी भाषा का साहित्यिक सफर!
Shaikshanik Sandarbh

हिन्दी भाषा का साहित्यिक सफर!

संदर्भ के अंक-136 में टी. विजयेंद्र का लेख हिन्दी हाज़िर है पढ़ा।

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March - April 2022
जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ
Shaikshanik Sandarbh

जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ

बच्चों के साथ बातचीत

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March - April 2022
पुवितम में विज्ञान : ज़िन्दगी से सीखना
Shaikshanik Sandarbh

पुवितम में विज्ञान : ज़िन्दगी से सीखना

तमिल में पुवितम का मतलब 'धरती से प्रेम' होता है। पुवितम गतिविधि केन्द्र में बच्चे अपने आसपास के माहौल में सहजता से अवलोकन करना, खोजबीन करना और काम करना सीखते हैं। यह पद्धति विज्ञान सीखने पर किस तरह असर करती है? और शिक्षक इस प्रक्रिया में क्या भूमिका निभाते हैं?

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March - April 2022
रसोई में चिड़ियाघर
Shaikshanik Sandarbh

रसोई में चिड़ियाघर

उन दिनों मैं पहले दर्जे में था। स्कूल से लौटकर अक्सर अपने चाचा के घर जाया करता था। उनका घर हमारे मुहल्ले ही में था। वे अकेले रहते थे। घर का सारा काम खुद करते थे। उनकी मेज़ किताबों और कागज़ों से इतनी लदी रहती थी कि देखकर लगता था, मानो अभी ढह जाएगी! लेकिन ऐसा हुआ कभी नहीं क्योंकि मेज़ के पाए किसी हाथी के बच्चे की टाँगों जितने मोटे और मज़बूत थे।

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March - April 2022
बल्ब जलाओ जगमग-जगमग
Shaikshanik Sandarbh

बल्ब जलाओ जगमग-जगमग

"देखो... मैं आज गणित में तड़ी मारने वाला हूँ।” भागचन्द्र ने गली के मोड़ पर इसरार और नारंगी से कहा।

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March - April 2022
अजगर बिलों में सेही के साथ शान्ति से रहते हैं
Shaikshanik Sandarbh

अजगर बिलों में सेही के साथ शान्ति से रहते हैं

अदिति मुखर्जी यहाँ अजगर तथा सेही, जिनके बीच अक्सर एक शिकारी और शिकार का सम्बन्ध होता है, के एक ही बिल में शान्ति से साथ-साथ रहने के अपने अध्ययन के बारे में बता रही हैं।

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March - April 2022
फ्यूज़ बल्ब का कमाल
Shaikshanik Sandarbh

फ्यूज़ बल्ब का कमाल

पुस्तक अंश - खोजबीन

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July - August 2021
संख्याएँ कितनी वास्तविक एवं कितनी काल्पनिक?
Shaikshanik Sandarbh

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शिक्षकों की कलम से

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July - August 2021
बड़े काम के हैं भाषा के काम
Shaikshanik Sandarbh

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July - August 2021