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![केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/SuR0wj8HF1738759486501/1738759610756.jpg)
केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।
![मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/C7d1RAaMZ1738758957083/1738759235341.jpg)
मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।
![उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/mOmP8ZTNZ1738757679180/1738758947805.jpg)
उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।
![इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/ED_fCI6K71738760919210/1738761138370.jpg)
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।
!['कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'! 'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/uGgQp601J1738760064125/1738760413706.jpg)
'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।
![क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/lYnidG2NA1738757197611/1738757410993.jpg)
क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।
![त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/22FZEY1N41738756708777/1738756961143.jpg)
त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।
![लोककल्याणकारी देवता शिव लोककल्याणकारी देवता शिव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/cbij2oJRt1738756961454/1738757183649.jpg)
लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।
![प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/puD2HSaBI1738756148906/1738756532776.jpg)
प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।
![रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार) रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/PqYFAHF5A1738760718820/1738760902571.jpg)
रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।
![आओ! चलें प्रयागराज कुम्भ आओ! चलें प्रयागराज कुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/dogv2vCz21738759617971/1738759898631.jpg)
आओ! चलें प्रयागराज कुम्भ
प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक महाकुम्भ पर्व का आयोजन हो रहा है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रयाग में संगम पर माघ माह में स्नान से अपार पुण्य मिलता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है और उस दौरान यदि कुम्भ पर्व भी हो, तो इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
![सिद्ध योगपीठ स्थली - गोरखनाथ मन्दिर सिद्ध योगपीठ स्थली - गोरखनाथ मन्दिर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/pq3IKbqob1738759243928/1738759477486.jpg)
सिद्ध योगपीठ स्थली - गोरखनाथ मन्दिर
पूर्वी उत्तरप्रदेश का खास शहर गोरखपुर अपनी दो खासियतों के लिए खासतौर से जाना-पहचाना जाता है। एक तो यह जगप्रसिद्ध गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित सस्ती धार्मिक पुस्तकों के लिए तथा दूसरा धार्मिक जगत् में विख्यात महायोगी गुरु गोरखनाथ के मन्दिर की वजह से।
![प्राचीन सभ्यताओं की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ प्राचीन सभ्यताओं की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/YHb6fX5OW1738757433079/1738757668800.jpg)
प्राचीन सभ्यताओं की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ
मिस्र के पिरामिड़ों की नाप-जोख भी बड़ी रहस्यमयी रही है। इसकी ऊँचाई को 10° से गुणा करने पर जो संख्या आती है, वह पृथ्वी से सूर्य की दूरी को प्रदर्शित करती है।
![जश तो भाई ले गया! जश तो भाई ले गया!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/xWj9B10wu1738756539155/1738756706095.jpg)
जश तो भाई ले गया!
दर्शनशास्त्र कहता है कि मनुष्य स्वयं के जीवन में जो कुछ है, वह संसार में वही बाँटता है।
![भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/IH3cP8Wd11736512690147/1736512831816.jpg)
भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
![मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/uxw0r5KgF1736512472420/1736512645146.jpg)
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
![महाकुम्भ प्रयागराज महाकुम्भ प्रयागराज](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/h4Q-fQ1t71736512015046/1736512440842.jpg)
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
![रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/DOFo_HocS1736511790537/1736511957372.jpg)
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
![अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/rXV_mUYUG1736511476759/1736511786915.jpg)
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
![सूर्य और उनका रत्न माणिक्य सूर्य और उनका रत्न माणिक्य](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/LbR0GZrhe1736511217895/1736511444794.jpg)
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
![नागाओं का अचानक यूँ चले जाना! नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/TV3KjTUWB1736511138439/1736511195188.jpg)
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
![नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/egqYXtiX51736510772183/1736511019465.jpg)
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
![इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/PWCWgJyNB1736510033464/1736510565621.jpg)
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
![कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष? कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1947404/rlweWQO001736509611379/1736509979775.jpg)
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।
![बारहवाँ भाव : मोक्ष अथवा भोग बारहवाँ भाव : मोक्ष अथवा भोग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1910808/RF2uVQEBu1735291506526/1735291708440.jpg)
बारहवाँ भाव : मोक्ष अथवा भोग
किसी भी जन्मपत्रिका के चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव को 'मोक्ष त्रिकोण भाव' कहा जाता है, जिसमें से बारहवाँ भाव 'सर्वोच्च मोक्ष भाव' कहलाता है। लग्न से कोई आत्मा शरीर धारण करके पृथ्वी पर अपना नया जीवन प्रारम्भ करती है तथा बारहवें भाव से वही आत्मा शरीर का त्याग करके इस जीवन के समाप्ति की सूचना देती है अर्थात् इस भाव से ही आत्मा शरीर के बन्धन से मुक्त हो जाती है और अनन्त की ओर अग्रसर हो जाती है।
![रामजन्मभूमि अयोध्या रामजन्मभूमि अयोध्या](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1910808/kkL8gF1It1735290884377/1735291481322.jpg)
रामजन्मभूमि अयोध्या
रात के सप्तमोक्षदायी पुरियों में से एक अयोध्या को ब्रह्मा के पुत्र मनु ने बसाया था। वसिष्ठ ऋषि अयोध्या में सरयू नदी को लेकर आए थे। अयोध्या में काफी संख्या में घाट और मन्दिर बने हुए हैं। कार्तिक मास में अयोध्या में स्नान करना मोक्षदायी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ भक्त आकर सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं।
![जीवन प्रबन्धन का अनुपम ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता जीवन प्रबन्धन का अनुपम ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1910808/QBXQI5nrp1735290607467/1735290879329.jpg)
जीवन प्रबन्धन का अनुपम ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता
यह सर्वविदित है कि महाभारत के युद्ध में ही श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। यह उपदेश मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी (11 दिसम्बर) को प्रदत्त किया गया था। महाभारत के युद्ध से पूर्व पाण्डव और कौरवों की ओर से भगवान् श्रीकृष्ण से सहायतार्थ अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही गए थे, क्योंकि श्रीकृष्ण शक्तिशाली राज्य के स्वामी भी थे और स्वयं भी सामर्थ्यशाली थे।
![तरक्की के द्वार खोलता है पुष्कर नवांशस्थ ग्रह तरक्की के द्वार खोलता है पुष्कर नवांशस्थ ग्रह](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1910808/JDCIoePXz1735286070129/1735286278323.jpg)
तरक्की के द्वार खोलता है पुष्कर नवांशस्थ ग्रह
नवांश से सम्बन्धित 'वर्गोत्तम' अवधारणा से तो आप भली भाँति परिचित ही हैं। इसी प्रकार की एक अवधारणा 'पुष्कर नवांश' है।
![सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1814713/NG76lBXtb1725024033547/1725024163162.jpg)
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।
![सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1814713/kcKEU5Jpk1725023815832/1725024026389.jpg)
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।