हमारे देश में फलों के कुल क्षेत्रफल के लगभग 9 प्रतिशत भाग पर नींबू वर्गीय फलों की खेती की जाती है और देश के कुल फल उत्पादन में इनका लगभग 9 प्रतिशत का अंशदान होता है। नींबूवर्गीय फल प्राय: भोजन के बाद ताजे फलों के रूप में खाये जाते हैं। माल्टा एवं खट्टी नारंगी से मार्मलेड बनाया जाता है, साथ ही संतरा, मौसमी, नींबू और चकोतरा के रस से स्क्वैश बनाया जाता है।
नींबूवर्गीय फलों में विटामिन 'सी' पर्याप्त मात्र में पाया जाता है तथा फलों का यह वर्ग पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यदि बागवान बन्धु इस वर्ग के फलों की खेती वैज्ञानिक तकनीक और उन्नत किस्मों के साथ करें, तो इनकी बागवानी से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस लेख में कृषकों की जानकारी के लिए कागजी नींबू की खेती कैसे करें, वैज्ञानिक तकनीक से का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
उपयुक्त जलवायु: कागजी नींबू उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है, तथा यह पाला रहित क्षेत्रों में अधिक सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसके पौधों को अत्याधिक ठंड (चिलिंग) की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु शीत ऋतु के प्रभाव से पौधे की वृद्धि का रुकना, पुष्पन के लिए लाभकारी होता है। यदि वातावरण में आर्द्रता कम हो, तो फलों का रंग अच्छा होता है। अधिक आर्द्रता होने से मौसमी या माल्टा के फल अधिक रसयुक्त हो जाते हैं। अधिक आर्द्र उष्ण क्षेत्रों में पके फलों के छिलके में पीला रंग नहीं होता है। 1,000 मिलीमीटर औसत वार्षिक वर्षा, कागजी नींबू की खेती के लिये बहुत ही उपयुक्त है।
भूमि का चयन: नींबू वर्गीय फलों के पौधे के उचित विकास के लिये गहरी, भुरभुरी, उपजाऊ दोमट मिट्टी अच्छी होती है। सख्त परत वाली भूमि, जिसमें कैल्शियम कार्बोनेट की सतहें पायी जाती हैं, इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं। मृदा, जिसका पी एच मान 5.5 से 7.5 होता है। कागजी नींबू के पौधों के लिये उपयुक्त होती है। नींबू वर्गीय फल लवणता के प्रति संवेदनशील होते हैं तथा लवणता सहन नहीं कर पाते हैं।
Denne historien er fra 15th March 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।