कोविड- 19 महामारी ने कृषि उद्योग समेत विश्वभर के अलग-अलग क्षेत्रों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। बेमिसाल संकट ने विश्वव्यापी आहार प्रणालियों, विशेष तौर पर कटाई के बाद के प्रबंधन में कमजोरियों को मशहूर किया है। कृषि उपज की उपलब्धता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा को यकीनन बनाने में कुशल कटाई के बाद प्रबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह खेतों से खपतकारों की मेजों की ओर जाता है। हालाँकि, महामारी ने पारपंरिक सप्लाई श्रृंखला को बिगाड़ दिया है, जिसमें मजदूरों की कमी, यातायात की पाबंदियाँ एवं मार्केट की अनिश्चितताएं शामिल हैं।
निष्कर्ष के तौर पर, कटाई के बाद की प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाने के लिए नवीनताकारी समाधानों की जरूरत पहले की अपेक्षा कहीं अधिक हो गई है। आर्टीफिशियल इंटेलीजैंस (ए.आई) एवं इन्टरनेट ऑफ थिंगस (आईओटी) परिवर्तनशील टैक्नॉलोजियों के तौर पर उभरे हैं जो कृषि क्षेत्र में कटाई के बाद के प्रबंधन में क्रांति लाने के समर्थ हैं। ए. आई अलगअलग तकनीकों को शामिल करता है, जैसे कि मशीन लर्निंग एवं भविष्यवाणी विश्लेषण, जो कंप्यूटरों को डेटा से सीखने एवं बुद्धिमान निर्णय लेने के योग्य बनाता है। दूसरी तरफ, आई.ओ.टी. इंटरक्नेक्टिड डिवाईसों के नैटवर्क को दिखाता है जो इंटरनेट द्वारा डाटा इकट्ठा करते हैं और एक्सचेंज करते हैं। ए.आई एवं आई. ओ.टी का तालमेल विशेष तौर पर महामारी के दौरान कृषि उद्योग में आई चुनौतियों का समाधान करने के लिए नये युग के परिवर्तनशील टैक्नॉलोजियों का समाधान पेश करता है।
ए.आई एवं आई.ओ.टी की शक्ति का उपयोग करके, कटाई के बाद के प्रबंधन को कटाई एवं छाँटने से लेकर भंडारण एवं बाँट तक हर पड़ाव पर अनुकूल बनाया जा सकता है। यह टैक्नॉलोजियां तापमान, नमी एवं उत्पाद की गुणवत्ता जैसे महत्वपूर्ण मानकों पर समय पर निगरानी, ऑटोमैटिक निर्णय लेने, पूर्व अनुमान विश्लेषण एवं टीका सहित नियंत्रण को समर्थ बनाती हैं। ए. आई एल्गोरिथम एवं आई. ओ.टी समर्थ सैंसरों का लाभ उठा कर, कृषि क्षेत्र के हित्तधारक कुशलता बढ़ाकर, नुक्सान को कम, भोजन सुरक्षा को यकीनन बनाकर एवं कटाई के बाद प्रबंधन प्रक्रिया की समुच्चय प्रणाली में सुधार कर सकते हैं।
2. ए. आई एवं पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में आई. ओ. टी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं
Denne historien er fra 15th June 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।