जिंक कई एंजाइम के एक आवश्यक घटक के रूप में कार्य करता है और विकास के लिए आवश्यक पौधे में कई जैव रासायनिक प्रक्रियों को नियंत्रित करता है। मुख्य खाद्य फसलों जैसे धान में जिंक की कमी के लिए जिम्मेदार मुख्य कारक मिटटी से सम्बंधित है जैसे कि:
i. उच्च पी. एच
ii. उच्च कैलसाईट सामग्री
iii. बाईकार्बोनेट अयनों और लवणों की उच्च सांद्रता और उपलब्ध फॉस्फोरस का उच्च स्तर:
फसलों को जिंक की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारक इस प्रकार हैं:-
1. अत्याधिक अम्लीय मिट्टी में अत्याधिक लिंचिंग के कारण जिंक का कुल मूल्य बहुत कम हो सकता है।
2. मिट्टी में पीएच में वृद्धि के साथ जिंक की उपलब्धता घट जाती है। ऐसा इसलिए है। क्योंकि खनिजों की घुलनशीलता, जो जिंक को ऊपर उठाने में मदद करती है। कम हो जाती है इनमें शामिल हैं कोइल कोलाइडल कण जैसे मिट्टी के खनीज लोहा और अल्मोनियम ऑक्साइड कार्बनिक पदार्थों और कैल्शियम कार्बोनेट।
Denne historien er fra 15th August 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
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मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
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कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
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