हालांकि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने दावा किया कि पिछले तीन साल में खेतों में आग लगने की घटनाओं में कमी आई, लेकिन 1 नवंबर के बाद तीन दिनों में इसमें 150 प्रतिशत का उछाल नजर आया। जबकि कई एफआईआर दर्ज की गई व जुर्माना लगाया गया फिर भी खेतों में आग लगने का संकट जारी रहा। संबंधित क्षेत्रों के एसडीएम को उन किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में 'रेड एंट्रीज' करने के लिए कहा गया जो धान के अवशेषों को न जलाने के निर्देश नहीं मान रहे थे।
लेकिन यहां एक पेच है जब पत्रकार कहते हैं कि उपलब्ध कराए गए उपग्रह डेटा के आधार पर आग लगने की घटनाओं की संख्या में कमी आई है, तो उन्हें यह अहसास नहीं होता कि वह क्षेत्र अधिक मायने रखता है जो आग से बचाया गया है। आग की संख्या में कमी समानुपातिक रूप से उस क्षेत्र में कमी से संबंधित नहीं है जिस पर पराली जलाई जाती है। उदाहरणतया, पंजाब ने दावा किया कि पिछले साल यानी 2022 के धान कटाई के मौसम में पिछले कुछ वर्षों में पराली जलाने की संख्या में 30 प्रतिशत की कमी आई, लेकिन जो क्षेत्र असल में खेत में पराली जलाने से बचाया गया था वह केवल 1.5 प्रतिशत था। यह दर्शाता है कि खेत में आग लगने की घटनाओं का डेटा कितना भ्रामक हो सकता है।
कटाई सीजन के शुरुआती कुछ हफ्तों में आग लगने की घटनाओं में महत्वपूर्ण कमी को लेकर खबरें आयीं। एक बार फिर ये न्यूज रिपोर्ट्स ऐसा आभास देती रहीं कि अवशेष जलाने की समस्या का बहुत हद तक खयाल रखा गया। वहीं इन खबरों के प्रकाशित होने तक पूरी खड़ी फसल की कटाई भी नहीं हुई थी जबकि इस साल पंजाब में करीब 190 लाख टन धान की फसल होने का अनुमान था। इसके बाद, जब गेहूं बुआई के लिए खेतों को तैयार करने का काम जोरों पर होगा तो आग लगाने की घटनाओं में तेजी जारी रहेगी।
Denne historien er fra December 01, 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 01, 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।