यह भारत जैसे विकासशील देश में कृषि उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाने में भी बाधा उत्पन्न करते हैं। इसी के चलते भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा 22 अप्रैल 1989 को राष्ट्रीय खरपतवार अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई जिसे अद्यतन कर 23 जनवरी 2009 को खरपतवार विज्ञान निदेशालय में परिवर्तित कर दिया गया है। वर्तमान में इसे 26 नवम्बर, 2014 को आई.सी.ए.आर. खरपतवार विज्ञान निदेशालय कर दिया है। इसके साथ किसानों के हितार्थ देश के अलग-अलग कृषि विश्वविद्यालयों में 17 खरपतवार नियन्त्रण केन्द्र खोले गए हैं।
खरपतवारों में दोबारा उगने की क्षमता ज्यादा होती है। ये ध्यान न देने पर उर्वरक और सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण तत्वों का उपयोग करते हैं। इसलिए खरपतवार प्रबन्धन अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है। रबी फसलों में शुरू के 30-35 दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं। इन फसलों में मुख्यतः सरसों, चना, जौ व गेहूं आते हैं।
(क) जौ: पहली सिंचाई के बाद एक या दो बार फसल की नलाई करें। यदि ऐसा न कर सकें तो 200-250 लीटर पानी में 400 ग्राम 2, 4-डी (सोडियम साल्ट) को घोलकर फसल की बिजाई के 40 दिन बाद प्रति एकड़ छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती वाले घास नष्ट हो जाते हैं। यह फसल को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाता।
चौड़ी-पत्ती वाले खरपतवारों के नियन्त्रण हेतु एलग्रीप 20 घु.पा./घु. दाने (मैटसल्फ्यूरान-मिथाईल) 8 ग्राम-200 मि.ली. सर्फेक्टेंट (या 2, 4-डी अमाइन 58 एस. एल. 500 मि.ली. या एफिनिटी 40 डी. एफ. (कार्पेंट्जोन-इथाइल) 20 ग्राम को प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के 40-45 दिन बाद छिड़काव करें।
घास कुल के खरपतवारों (कनकी, जंगली जई व लोमड़ घास) के नियन्त्रण हेतु एक्सियल 5 ई.सी. (पिनोक्साडेन) 400 मि.ली. प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के 40-45 दिन बाद छिड़काव करें।
मिश्रित खरपतवारों (संकरी व चौड़ी पत्ती वाले) के नियन्त्रण हेतु एक्सियल 5 ई.सी. (पिनोक्साडेन) 400 मि.ली. के साथ एलग्रीप 20 घु.पा./घु. दाने (मैटसल्फ्युरान मिथाइल) 8 ग्राम-200 मि.ली. सर्फेक्टेंट या 2, 4-डी अमाइन 58 एस. एल. 500 मि.ली. या एफीनिटी 40 डी. एफ. (कार्पेंट्राजोनइथाइल) 20 ग्राम प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में घोलकर (टैंक मिश्रण) बिजाई के 40-45 दिन बाद छिड़काव करें।
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
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हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
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जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
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केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
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फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
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अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।