बिगड़ रही खेतों की सेहत
Modern Kheti - Hindi|January 01, 2024
यदि भूमि की गुणवत्ता में आती गिरावट का यह रुझान जारी रहता है तो इससे निपटने के लिए 2030 तक 150 करोड़ हैक्टेयर भूमि को बहाल करने की आवश्यकता होगी।
बिगड़ रही खेतों की सेहत

भारत में भूमि गुणवत्ता में आती गिरावट से कृषि उत्पादकता को हर वर्ष औसतन 3,654 रुपए प्रति हैक्टेयर का नुकसान हो रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा नुकसान की यह गणना 2011-12 की कीमतों के आधार पर की गई है। वहीं रिसर्च में यह भी सामने आया है कि भू-क्षरण में एक फीसदी की वृद्धि के चलते कृषि उत्पादकता को होने वाला यह नुकसान प्रति हैक्टेयर औसतन 104 रुपए बढ़ जाएगा। हालांकि साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी जानकारी दी है कि भूमि क्षरण में 10 फीसदी की गिरावट से उत्पादकता को होने वाला नुकसान घटकर 3,145 रुपए प्रति हैक्टेयर रह जाएगा।

Denne historien er fra January 01, 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.

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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम

सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।

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15th December 2024
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
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भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।

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15th December 2024
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
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सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ

सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।

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15th December 2024
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
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गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व

गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।

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15th December 2024
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
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देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।

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15th December 2024
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
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क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?

ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।

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15th December 2024
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
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अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण

अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।

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15th December 2024
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
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अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।

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कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
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कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व

कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।

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15th December 2024
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
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'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल

नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।

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15th December 2024