बागानों की स्थापना से पहले मिट्टी की विशेषताओं का अच्छी तरह मुल्यांकन करना महत्वपूर्ण है जो मिट्टी की परख द्वारा ही किया जा सकता है जिसका खर्च किसी अयोग्य जगह से बाग लगाने से होने वाले खर्च की अपेक्षा बहुत कम है। क्षेत्र में टिकाऊ बागवानी करने के लिए मिट्टी परख आधारित खाद एक महत्वपूर्ण पहलू है। मिट्टी की पोषण स्थिति एवं भौतिक रासायनिक विशेषताओं का मुल्यांकन करने के लिए मिट्टी के नमूनों के अध्ययन को मिट्टी परीक्षण के तौर पर जाना जाता है। किसानों को मिट्टी परख की जरूरत के बारे में लंबे समय से सलाह दी जाती रही है, परन्तु फिर भी उनको मिट्टी के नमूने लेने की वैज्ञानिक तकनीक के बारे शिक्षित करने की आवश्यकता है।
बाग लगाने के लिए मिट्टी का नमूना लेने से तीन मुख्य उद्देश्य पूरे होते हैं:
- मिट्टी की विशेषताएं जैसे कि पी. एच बनावट, पौष्टिक उपलब्धता या क्षारीय का पता लगता है।
- जड़ों के विकास, पानी के निकास में भौतिक रुकावटों के कारण अनउचित क्षेत्रों की पहचान करवाता है।
- बाग की मिट्टी में समय-समय पर परिवर्तनशीलता के बारे में जानकारी मिलती है।
मिट्टी की परख में तीन मुख्य पड़ाव शामिल हैं जो नमूना लेना, विश्लेषण एवं व्याख्या हैं। धान की फसल, गेहूँ, मक्का, दालों के लिए मिट्टी की परख व्यापक तौर पर की जाती है परन्तु बगीचों में मिट्टी की परख कम प्रयोग होती है। बगीचों में, मिट्टी की शुरुआती स्थिति का मुल्यांकन करने के लिए, बगीचों की स्थापना से पहले मिट्टी की जांच आमतौर पर सिर्फ एक बार की जाती है। परन्तु मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की स्थिति जानने के लिए फलों की फसलों के लिए 3 वर्ष में एक बार मिट्टी की परख अवश्य करनी चाहिए।
मिट्टी के मानकों का महत्व:
1. मिट्टी के पी. एच के आधार पर किसान मिट्टी की तेजाबी या कुएँ में पानी का स्तर किस्म के अनुसार बाग लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए थोड़ी तेजाबी मिट्टी में किसान अंगूर, पपीता, नींबू जाति और कुएँ में पानी का स्तर मिट्टी में सपोटा, अनार, अमरूद आदि उगा सकते हैं। इस तरह मिट्टी की पी. एच. परख फलों की फसलों के चयन में सहायक होती है।
Denne historien er fra 1st February 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।