पिछले कुछ दशकों में कई नए कीटनाशक बाजार में आए, जिन्होंने न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि कुछ जानलेवा बीमारियों के रोकधाम में भी अहम भूमिका निभाई है। भारत में कीटनाशकों की कुल खपत विश्व की कुल खपत के मात्र 2 प्रतिशत है जबकि अनेक विकसित देशों में यह बहुत ज्यादा है। कीटनाशकों का असंतुलित प्रयोग न केवल प्रयोग करने वाले व्यक्ति बल्कि फसल, पर्यावरण, पानी व खाद्य पदार्थों पर भी पड़ता है। इसलिए इनके प्रयोग से संबंधित कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए तथा इन पर लिखे निर्देशों का पालन सही तरीके से करना चाहिए।
देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्न की आवश्यकता की पूर्ति के लिए कृषि उत्पादन एवं पौध संरक्षण तकनीक की अहम भूमिका है। अधिक कृषि उत्पादन एवं नाशी जीवों से बचाव के लिए कृषि रसायनों, कीटनाशक, कवकनाशक, खरपतवारनाशक आदि रसायनों का प्रयोग जरुरी होता जा रहा है, लेकिन उपरोक्त के असंतुलिन एवं अव्यवहारिक प्रयोगों के गंभीर दुष्परिणाम
सामने आ रहे हैं, जैसे:-
पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, पौधों एवं जीवों पर दुष्प्रभाव आदि प्रकार के परिणाम सामने आते हैं।
उपरोक्त हानिकारक प्रभावों को देखते हुए आज कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ कीटनाशकों के सुरक्षित व विवेकपूर्ण प्रयोग की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण और जीवों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि कीटनाशकों के सुरक्षित भंडारण व विवेकपूर्ण उपयोग के लिए किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए।
कीटनाशक खरीदते समय निम्न बातों का ध्यान रखें :-
कीटनाशक कृषि विशेषज्ञों की सलाह से ही खरीदें। कीटनाशक वैधानिक पंजीकृत केंद्र से ही खरीदें। एक बार के प्रयोग हेतु ही रसायनों की उचित मात्रा लें। पैंकिंग पर बनाने व समाप्ति की तिथि, बैच नंबर, लेवल आदि मानकों का ध्यान रखें। खुले पैकेट न खरीदें।
कीटनाशकों के भंडारण से संबंधित सावधानियां :-
Denne historien er fra 15th July 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।