राष्ट्रीय ध्वज
Champak - Hindi|January Second 2023
कहानी - राष्ट्रीय ध्वज
रेणुका श्रीवास्तव
राष्ट्रीय ध्वज

अंशुल स्कूल से घर लौट रहा था. घर के पास पार्क में उस ने देखा कि उस की छोटी बहन अवनी अपनी दोस्त चंचल से कागज का झंडा छीन रही थी. चंचल झंडा देना नहीं चाहती थी. जब तक अंशुल उन के पास पहुंचा, तब तक छीनाझपटी में झंडे की डंडी अवनी के हाथ में आ गई और झंडा चंचल के हाथ में. दोनों सहेलियां रो रही थीं और एकदूसरे से लड़ रही थीं.

अवनी अंशुल को देखते ही दौड़ कर उस के पास आई और रोते हुए बोली, "भैया, मैं चंचल से नहीं बोलूंगी. मैं उस से खेलने के लिए झंडा मांग रही थी, पर वह दे नहीं रही थी."

"वह तुम्हें झंडा नहीं दे रही थी, इसलिए तुम उस से झंडा छीनने लगी, वह भी खेलने के लिए. यह तुम ने बहुत गलत काम किया है. चलो, हम चंचल के पास चलते हैं," अंशुल अवनी के साथ चंचल के पास चले गए.

चंचल झंडा हाथ में लिए रो रही थी और अंशुल को देखते ही वह फूटफूट कर रोने लगी.

अंशुल चंचल को चुप कराते हुए बोला, "तुम लोग तो दोस्त हो, फिर तुम आपस में लड़ क्यों रही थी ?”

"अवनी मेरा झंडा छीन रही थी. मैं उसे यह देना नहीं चाहती थी, तब वह इसे छीनने लगी," चंचल सिसकते हुए बोली.

"ओह, अब समझा. तुम लोग झंडे के महत्त्व को समझती नहीं हो, इसलिए तुम आपस में लड़ रही थी. यदि तुम इस के महत्त्व को समझती, तो कभी आपस में लड़ती नहीं, बल्कि इस की शान में इसे फहराती और खुश होती." 

"भैया, आप हमें झंडे के महत्त्व को समझा दीजिए ताकि हम आगे से ऐसी गलती न कर सकें." 

दोनों सहेलियां एकसाथ बोलीं तो अंशुल झंडे में उस की डंडी लगा कर उसे खंभे पर फहराने लगा. चंचल बोली, "भैया, उसे वहां नहीं, मेरी स्कूटी पर लगा दीजिए. जब मैं स्कूटी चलाऊंगी तो अच्छा लगेगा."

"तुम इसे स्कूटी पर नहीं लगा सकती हो." 

"लेकिन क्यों?" चंचल आश्चर्य से बोली.

"आओ, मैं तुम्हें अभी समझाता हूं," अंशुल झंडे को खंभे पर फहरा कर दोनों के साथ बैंच पर बैठ कर बोला, "यह झंडा हमारे देश का गौरव है... हमारी शान है. अतः हमें सदैव इस का सम्मान करना चाहिए." 

Denne historien er fra January Second 2023-utgaven av Champak - Hindi.

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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.

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दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"

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