नन्हा रंपी सुबहसुबह स्कूल जाने के लिए बाहर खड़ा हो कर मां का इंतजार कर रहा था. उस की मां रोरो रोज उस का स्कूल बैग उठा कर उसे स्कूल छोड़ने जातीं. उस के बाद घर आ कर अपने काम निबटातीं.
रंपी अकसर कहता, "मां, अब मैं बड़ा हो गया हूं. मैं अपने दोस्तों के साथ स्कूल जा सकता हूं. आप मुझे छोड़ने इतनी दूर क्यों आती हो ?”
"मुझे तुम्हारी चिंता लगी रहती है बेटा. जंगल में कई खतरनाक जानवर हैं, जो छोटे बच्चों को अकेला देख कर उन पर हमला कर देते हैं. इसीलिए मैं तुम्हारे साथ स्कूल आती हूं."
"आप मुझे बहुत प्यार करती हैं मां, तभी मेरी इतनी चिंता करती हो."
"तुम भी तो मुझे प्यार करते हो," रोरो उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली.
वे दोनों स्कूल आतेजाते रास्ते में ढेर सारी बातें करते थे. रोरो बहुत मेहनती थी. वह दिनरात मेहनत कर के अपना घर चला रही थी और रंपी को अच्छे स्कूल में पढ़ा रही थी. दोपहर में भी वह निश्चित समय पर रंपी को लेने स्कूल पहुंच जाती. उस का स्कूल बैग उठाती और उस के बाद दोनों हंसीखुशी घर आ जाते.
14 फरवरी का दिन था. रंपी हमेशा की तरह स्कूल पहुंच कर अपने सहपाठियों के साथ असेंबली हौल में चला गया. उस की क्लास टीचर विवि लोमड़ी बहुत स्मार्ट और सुंदर थी, लेकिन उस का स्वभाव थोड़ा सख्त था. बच्चे उस से बात करने में डरते थे, लेकिन वह बहुत अच्छा पढ़ाती थी. वह सब की पसंदीदा शिक्षिका थी.
प्रार्थना के बाद सब बच्चे क्लास में लौट आए और फिर उन के साथ विवि मैम भी हाजिरी लेने आ गई.
आज टीचर की टेबल पर एक सुंदर लाल गुलाब खा था. उसे देख कर विवि हैरान रह गई. विवि जानती थी कि आज वैलेंटाइन डे है, लेकिन इतने छोटे बच्चों से इस प्रकार की उम्मीद नहीं की जा सकती थी. गुलाब का फूल देख कर वह गंभीर हो गई. उन्होंने बच्चों से पूछा, "यह फूल यहां किस ने रखा ?"
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
जलेबी उत्सव
चंपकवन के राजा शेरसिंह को कार चलाने का बड़ा शौक था. जाड़े की एक शाम को वह अकेले ही लंबी ड्राइव पर निकल पड़ा...
मिशन सांता क्लौज
यह एक ठंडी, बर्फीली रात थी और शिमला की सभी सड़कें रोशनी में जगमगा रही थीं. करण, परी और समीर क्रिसमस मनाने के लिए उत्साहित थे. हर साल की तरह वे क्रिसमस के मौके पर समीर के घर सोने जा रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक अतिरिक्त कार्यक्रम की योजना बनाई थी...
अनोखा क्रिसमस
\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...