विशाल अपनी पालतू बिल्ली कैटी से बहुत प्यार करता था. कैटी बड़ी स्मार्ट और होशियार थी. उस के फर एकदम रेशम जैसे थे. विशाल एक मिनट के लिए भी उ से दूर नहीं रहता. स्कूल जाने तक और स्कूल से लौटने के बाद वह उस से खेलता से रहता. कैटी भी उस से बहुत प्यार करती. उस के पैरों में झूल जाती. उस की गोद में उछलकूद करती.
मां विशाल को समझातीं कि कैटी को पकड़ने के बाद साबुन से हाथ धोने चाहिए. खास कर जब वह खाने की चीजें छूता अथवा खाता है. लेकिन वह एक नहीं सुनता. जब विशाल स्कूल जाता तो मां कैटी को जम कर नहलाती, ताकि उस से किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो. कैटी भी नहाना और पानी से खेलना खूब पसंद करती.
विशाल का नहाने का मन नहीं था. मां उस से कितना कहतीं, लेकिन उस के कानों में जूं तक नहीं रेंगती. वह अपनी ही मस्ती में रहता. संडे को मां उसे बड़ी मुश्किल से नहलातीं. उस की आदतें खराब होती जा रही थीं.
"विशाल, अब तुम बड़े हो रहे हो. तुम्हें सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए. अब ऐसा नहीं चलेगा. मैं तुम्हें कब तक नहलाती रहूंगी. तुम्हें खुद से नहाना चाहिए," एक दिन मां ने समझाते हुए कहा.
"मैं नहाता तो हूं, न संडे को आप क्यों परेशान करती हो मुझे," विशाल ने कहा.
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