फरहान और राइसा दोनों भाईबहन आपस में काफी प्यार करते थे, लेकिन रंगों को चुनने में वे कभीकभी आपस में लड़ जाते थे. खास कर स्कूल बैग हो, लालपीले गुब्बारे या फिर लूडो की गोटियां हों.
आज फिर ऐसा हुआ. दादी ने घर के बगीचे में तरहतरह के फूल उगा रखे थे. दोनों उन में से सुंदर लाल रंग के गुलाब के लिए जिद करने लगे.
जब फरहान गुलाब छीन कर भाग गया तो राइसा अपने पापा के पास शिकायत करते हुए आई, "देखो पापा, फरहान मुझ से हर दिन लड़ता रहता है, कल उस ने मुझे पीला गुब्बारा नहीं दिया और आज वह मेरा पसंदीदा लाल गुलाब नहीं दे रहा है.”
फरहान उन के पीछे खड़ा था और पापा को देख कर मुसकराने लगा. पापा ने हंसते हुए दोनों को कहा, “तुम दोनों मूर्ख हो. यदि मैं कहूं कि लाल गुलाब लाल रंग का नहीं होता और पीला गुब्बारा पीला नहीं होता तो क्या तुम यकीन करोगे?”
यह सुन कर फरहान ने कहा, "हमारी लड़ाई खत्म करने के लिए आप ने फिर साइंस का सहारा लिया है. यह लो राइसा, लाल गुलाब तुम ही रख लो, ताकि पापा रंगों का रहस्य तुरंत खोल दें.”
राइसा किसी विजेता की तरह गुलाब हाथ में ले कर सूंघने लगी. उस ने उत्सुकता से पूछा, “पापा, अब बताइए, लाल गुलाब में लाल रंग कैसे नहीं है?"
पापा ने अलमारी से प्रिज्म निकाला और फिर प्रिज्म के एक तरफ से प्रकाश की किरणें डालीं तो दूसरी ओर सफेद पेपर पर इंद्रधनुष जैसा सात रंगों का एक स्पैक्ट्रम दिखाई दिया. फरहान और राइसा दोनों हैरानी से यह देखते रहे.
पापा ने कहा, “क्या तुम ने देखा कि प्रकाश सात रंगों से बना है, बैगनी, नीला, नीला बैगनी, हरा, पीला, नारंगी और लाल?”
यह सुन कर राइसा बोली, "यह तो अजीब बात है.”
पापा ने हंसते हुए कहा, “प्रकाश की किरणें जब इस गुलाब पर पड़ती हैं तो यह लाल रंग को छोड़ कर बाकी सब रंगों को शोख लेता है और सिर्फ लाल रंग परावर्तन करता है, इसलिए गुलाब लाल दिखाई देता है."
फरहान ने एक पल के लिए सोचा और पूछा, "क्या इस का मतलब यह है कि किसी भी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता? वह जिस रंग को परावर्तित करती है उसी रंग की दिखाई देती है?”
यह सुन कर पापा हंसने लगे.
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