शहर में प्रवेश करने पर उन्होंने देखा, सड़कें धूल भरी और सुनसान थीं. कुछ दुकानें थीं, लेकिन एक भी दुकानदार वहां नजर नहीं आ रहा था.
आखिरकार उस ने एक आदमी को देखा और एक मुसकान के साथ उससे पूछा कि उसे कुछ खाना और पानी कहां से मिल सकता है. उस आदमी ने अपना सिर उठाया और बुदबुदाते हुए कहा, "क्या?”
मैं ने कहा, “क्या आप मुझे कोई ऐसी जगह बता सकते हैं, जहां से मैं कुछ खाना और पानी खरीद सकता हूं?”
उस आदमी ने ऐसा अभिनय किया जैसे उस ने किसी भूत को देखा हो और वह भाग गया.
‘अजीब बात है,‘ मुरलीधर ने मन ही मन सोचा और आगे बढ़ गया. कुछ देर चलने के बाद वह एक नाले पर पहुंचा, जिस में कई फलों के पेड़ थे. उस ने जल्द पानी पीया और कुछ फल तोड़ने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया. तभी उस ने देखा कि एक आदमी धातु के ने कुछ बड़े बेलन लिए हुए है और सूरज को अपनी कुहनियों को उठा कर इशारा कर रहा है.
मुरलीधर उस आदमी के पास गया और बोला, "उह, हैलो, तुम क्या कर रहे हो?” आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया.
“मैं यह जानना चाहता था कि तुम क्या कर रहे हो? मेरा नाम मुरलीधर है... और मैं एक..."
“क्या तुम देख नहीं रहे हो? मैं धूप इकट्ठा कर रहा हूं,” उस आदमी ने गुस्से से कहा.
“धूप इकट्ठा कर रहे हो? लेकिन क्यों?”
“क्या तुम मूर्ख हो? कल जब सूरज नहीं निकलेगा तो क्या होगा? अगर तुम जिंदा रहना चाहते हो, तो तुम्हें अपने लिए कुछ धूप इकट्ठी कर लेनी चाहिए.“
“लेकिन तुम इस तरह धूप इकट्ठा नहीं कर सकते.”
उस आदमी ने अपना सिर हिलाया और चला गया. मुरलीधर आश्रय खोजने के लिए शहर की सड़कों की ओर चल दिया. रास्ते में उसे एक सुनसान मंदिर दिखाई दिया. वह यह देख कर हैरान रह गया कि चौकोर प्रांगण के बीचोंबीच एक बिना छत वाला सादा चौक है जिस के बीच में एक बड़ी पथरीली चट्टान है. एक आदमी उस विशालकाय भूरे रंग के पत्थर पर बारबार अपना माथा पटक रहा था.
मुरलीधर उसे रोकने उस आदमी के पास पहुंचा.
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
जलेबी उत्सव
चंपकवन के राजा शेरसिंह को कार चलाने का बड़ा शौक था. जाड़े की एक शाम को वह अकेले ही लंबी ड्राइव पर निकल पड़ा...
मिशन सांता क्लौज
यह एक ठंडी, बर्फीली रात थी और शिमला की सभी सड़कें रोशनी में जगमगा रही थीं. करण, परी और समीर क्रिसमस मनाने के लिए उत्साहित थे. हर साल की तरह वे क्रिसमस के मौके पर समीर के घर सोने जा रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक अतिरिक्त कार्यक्रम की योजना बनाई थी...
अनोखा क्रिसमस
\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...