उस ने बगीचे से जो फूल इकट्ठा किए थे, उन के इस्तेमाल से एक प्यारा सा कार्ड बनाया था. उस ने से उन्हें अपनी मोटी डिक्शनरी से दबा कर सुखाया. उस के बाद उस ने दिल की आकृतियां बनाईं और उन्हें क्रेयोंस से रंग दिया, लेकिन वह अब भी कुछ और खास करना चाहती थी.
मां तो लुसी आंटी के साथ शादी की खरीदारी करने में उन की मदद के लिए दिनभर बाहर थीं. वे बिग ट्री मौल को जाने वाले रास्ते गई थीं इसलिए लंबा समय लगने वाला था.
सैली ने मां के लिए एक केक बनाने के बारे में सोचा.
निश्चित तौर पर यह एक बड़ा सरप्राइज होगा.
लेकिन सैली बेकिंग के बारे में कुछ नहीं जानती थी.
उस ने दादाजी से इस बारे में पूछने की सोची, लेकिन वे उस के दोस्तों के साथ टीवी पर गेम्स देखने में व्यस्त थे. वह दादीमां से पूछ नहीं सकती थी, क्योंकि यह मदर्स डे का केक था. यह उन के लिए भी मां के साथ एक सरप्राइज होता.
अब वह चचेरे भाई बिट्टू के बारे में सोचने लगी, ‘क्या वह मददगार साबित हो सकता है? पूछने में क्या हर्ज है.'
इसलिए सैली अटारी पर जाने के लिए सर्पीली सीढ़ी पर चढ़ गई. बिट्टू ने अपना ईयरफोन लगा रखा था और नाच रहा था. वह अपनी मुलायम रोएंदार पूंछ को डांस करने से रोक सकता था. उस के बाद उसे ग्रूव करता. फिर उसे फूलने दे सकता था. वह इस तरीके से झटके दे दे कर नाच सकता था.
जैसे ही सैली ने उसे केक बनाने के अपने विचार के बारे में बताया, उस ने कहा कि वह निश्चित रूप से इस में उस की मदद कर सकता है, क्योंकि उस ने स्कूल में खाना बनाना सीखा था. दोनों किचन में गए और अलमारियों में देखा. उन्हें कुछ बेकिंग व्यंजन, चीनी, दूध आइसिंग ट्यूब्स मिल गए. "तो क्या यह एक गोल या आयत केक बनने जा रहा है," बिट्टू ने बेकिंग शीट निकालते हुए पूछा.
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जो ढूंढ़े वही पाए
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भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
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\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.