'अब मेरी दुकान पर काफी सारे ग्राहक आएंगे और मेरी खूब ब्रिकी होगी," डमरू ने खुश हो कर सोचा.
"मुबारक हो डमरू, आखिर तुम ने अपनी दुकान खोल ही ली. नई दुकान के लिए तुम्हें मेरी तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं," चीकू खरगोश सामने से गुजरा तो उस ने भी डमरू को शुभकामनाएं दीं.
"धन्यवाद चीकू. दुकान तो मैं ने खोल ली, अब बस यही मना रहा हूं कि दुकान में ग्राहक भी आएं," डमरू ने धीरे से कहा.
"डमरू, तुम बेकार ही घबरा रहे हो. हमारे चंपकवन में बिजली के सामान की कुछ गिनीचुनी ही दुकानें हैं, इसलिए तुम्हारी दुकान खूब चलेगी," चीकू ने डमरू का कंधा थपथपाते हुए कहा और वहां से चला गया.
डमरू अपनी दुकान के अंदर घुस गया और दुकान की सफाई करने लगा. अभी कुछ ही देर हुई थी कि वहां गज्जू हाथी आ गया.
"आप का मेरी दुकान 'डमरू इलैक्ट्रोनिक्स' में स्वागत है. बताइए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?" डमरू ने उत्सुकता से पूछा.
"मुझे एक 56 इंच का टीवी दिखाओ," गज्जू रौबीले स्वर में बोला.
"माफ कीजिएगा, लेकिन मेरे पास 56 इंच का टीवी नहीं है. अगर आप को कुछ और चाहिए तो मैं आप को तुरंत दिखा देता हूं," डमरू ने जवाब दिया.
"नहीं, मुझे तो टीवी ही लेना है," गज्जू चिढ़ कर बोला और वहां से चला गया.
गज्जू के जाने के थोड़ी देर बाद मिक्की और रिक्की बंदर डमरू की दुकान में आए.
"डमरू, तुम हमें काले रंग का एक जूसर दे दो," मिक्की ने कहा.
"नहीं, तुम मुझे लाल रंग का जूसर दो, लाल मेरा फेवरेट कलर है," रिक्की, मिक्की की बात का विरोध करते हुए चिल्लाया और दोनों आपस में बहस करने लगे.
"तुम दोनों शांत हो जाओ, मैं तुम दोनों को किसी भी रंग का जूसर नहीं दे सकता, क्योंकि मेरी दुकान में जूसर नहीं है," डमरू माफी मांगते हुए बोला.
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