इतना सुंदर अवसर पा कर बजी बहुत खुश हुई और वह अपनी भूख मिटाने के लिए उन के पैर के नजदीक पहुंच गई. उस ने पतले कपड़े के बीच से अपनी सुंडी अंदर डालने की कोशिश की, लेकिन वह पैर में घुसी ही नहीं. उस ने सुंडी पकड़ कर अपने दोनों हाथों से उसे अच्छे ढंग से पोंछा और फिर कोशिश की. इस बार भी असफलता ही उस के हाथ लगी. कई बार कोशिश करने पर वह जीवन अंकल के पैर को काटने में सफल नहीं हो सकी. यह देख कर बजी बहुत परेशान हो गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या गलत हो गया है? इस से पहले भी वह कपड़ों के ऊपर से इनसान को काट कर आराम से अपनी भूख मिटा लेती थी.
उसे लगा कि वह अब बूढ़ी हो गई है, जिस की वजह से वह एक इनसान को काटने में सफल नहीं हो पा रही थी. बजी हताश हो कर तुरंत अपने ठिकाने की ओर बढ़ गई. उसी समय एक अन्य मच्छर शार्पी भोजन की तलाश में बाहर निकल रही थी.
“तुम इतनी जल्दी क्यों लौट आई बजी?" शार्पी ने पूछा.
“क्या बताऊं, आज गजब हो गया. तुम भी सुनोगी तो चौंक जाओगी. मुझे लगता है कि मैं बूढ़ी हो गई हूं, शार्पी. मेरे बस का अब कुछ नहीं रहा."
“ऐसा क्यों कह रही हो? तो तुम अभी जवान हो और सबकुछ कर सकती हो.”
बजी ने शार्पी को कुछ देर पहले की घटना ज्यों की त्यों सुना दी. उसे सुन कर शार्पी भी चिंता में पड़ गई.
“हिम्मत रखो बजी. यदि तुम इतनी जल्दी उम्मीद छोड़ दोगी तो हमारे परिवार का क्या होगा?”
“बगैर खाएपीए मैं जिंदा कैसे रहूंगी? मैं अब इनसानों को काटने में असमर्थ हो गई हूं, शार्पी. लगता है कि मेरा अंत समय नजदीक आ गया है, " बजी दुखी हो कर बोली.
उस की बात सुन कर शार्पी की भी चिंता बढ़ गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक बजी को क्या हो गया?
Denne historien er fra January First 2024-utgaven av Champak - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra January First 2024-utgaven av Champak - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.