अखबार पढ़ते हुए बग्घा बाघ बोला, "अजीब बात है, इंसान हमें नष्ट भी कर रहा है और बाघ दिवस भी मना रहा है."
बैरी भालू ने पूछा, "क्या हमें भी उस दिन कुछ करना चाहिए?"
"अच्छी सलाह है, लेकिन हम करेंगे क्या? कोई नाटक, डांस और कविता पाठ," किनू चील ने कहा.
चीनू चिंपांजी ने पूछा, "क्या मैं कुछ सुझाव दूं?"
"हां, कहो न. सब की बात सुनने के लिए ही तो यह मीटिंग बुलाई गई है," राजा वनराज शेर ने कहा.
"क्यों न हम लोग एक कंपीटिशन करें, जिस में सरिस्का के पशुपक्षी बाघ के मेकअप में आएं. जिस का करतब सब से अच्छा होगा उसे प्रथम पुरस्कार दिया जाएगा."
किटी बिल्ली खुशी से उछलने लगी, "मै अपने शरीर पर अगर नारंगी और काली धारियां पेंट करूंगी तो बिलकुल बग्घा अंकल की तरह दिखने लगूंगी न, सही है."
"तुम ठीक कह रही हो,” बग्घा ने हंसते हुए कहा.
पिकू तोता भी अपने पंख फड़फड़ाने लगा, "यह तो मजेदार होगा. मैं अपने हरे पंखों पर नारंगी और काली धारियां बनाऊंगा, जिस से मैं बाघ जैसा दिखूंगा."
तैयारियां शुरू हो गईं. बैरी भालू ने अपने शरीर को रंगा और शाम तक उस के बाल सूखी टहनी की तरह हो गए. वह रोता हुआ अपने पापा के पास भागा.
"अब मुझे क्या करना चाहिए? मेरे सारे बाल सूख गए हैं और कांटों की तरह दिखते हैं."
"चिंता मत करो, आज रात नारियल का तेल लगाओ, तुम्हारे बाल मुलायम रहेंगे, कंपीटिशन के बाद शैंपू से धो लेना," उस के पापा ने कहा.
पीला पेंट सूखने के बाद पीकू ठीक से उड़ नहीं पा रहा था. वह अब बस इस डाली से उस डाली पर फुदकने लगा.
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