गजरू की होली

गजरू जंगल के घने इलाके में एक बिल में रहता था, जो उस की शरणस्थली था. चाहे दीवाली की आतिशबाजी हो या होली के रंग, वह हमेशा वहीं छिप जाता और हर चीज से बच जाता था.
सभी छछंदर जमीन के नीचे रहते थे, लेकिन गजरू का बिल असाधारण था. उस का बिल सूखी लकड़ी और घास से ढका हुआ था, जिस में भागने के लिए तीन अलगअलग सुरंगें थीं और घास का बना एक नरम बिस्तर था.
गजरू को शलजम बहुत पसंद थी. उस की रसोई में सफेद और बैगनी रंग की शलजम के ढेर लगे हुए थे और वहां शलजम का जूस बनाने की मशीन भी थी.
गजरू काफी होशियार और बहादुर था, लेकिन होली का नाम सुनते ही वह कांप उठता था. एक बार होली के दौरान ओमी लोमड़ी ने उस पर कैमिकल वाला रंग डाल दिया था, उस के बाद कई दिन तक गजरू को कुछ भी दिखाई नहीं दिया था और उस की आंखें सूज गई थीं. तब से उस ने कभी भी होली के जश्न में हिस्सा न लेने का फैसला कर लिया था.
इस साल जोसी चूहे ने उसे आश्वस्त करने की कोशिश की, “हम ने अब फूलपत्तियों से बने नैचुरल कलर का उपयोग करना शुरू कर दिया है. कृपया हमारे साथ होली खेलें,” लेकिन गजरू अपनी जिद्द पर अड़ा रहा, क्योंकि इस से पहले भी कई बार उसे परेशानी हुई थी. जैसेजैसे होली नजदीक आती गई, उस ने खुद को अपने बिल में बंद कर लिया और बिल के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लटका दिया, “यहां रंग नहीं ला सकते, कृपया होली के शौकीन दूर रहें.”
यह देख कर गजरू के दोस्तों, मैनी बंदर, सैमी गिलहरी, पंखु तोता और एंजो हाथी ने एक बैठक बुलाई.
मैनी ने कहा, “यदि हम गजरू को होली खेलने के लिए राजी कर पाए और उस के डर पर काबू पा सके, तो वह निश्चित रूप से हमारे साथ होली के उत्सव में शामिल होगा.”
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मिहिर की पूंछ
मिहिर केवल 9 साल का था, लेकिन अपनी तेज बुद्धि और मजेदार अंदाज के लिए वह जाना जाता था. उस की एक बुरी आदत थी कि वह बड़े-बड़े वादे करता था, लेकिन उन्हें कभी निभाता नहीं था.

हिप्पो कब जाएंगे
क्लोई और जोई हिरण बहनें थीं और एमरल्ड तालाब के पास बसंत में पहली बार तितलियों के साथ खेल रही थीं. अचानक उन्होंने दूर से एक दरियाई घोड़े को आते देखा.

अच्छा पड़ोसी
रविवार की सुबह थी. अभी पौ भी नहीं फटी थी. गिगी जिराफ और बौब भालू, जो और्गेनिक खेती करने वाले पड़ोसी थे और शहर के बाहर ही रहते थे. वे अपने खेतों की ओर तेजी से जा रहे थे. उन के घर एकदूसरे के घर से सटे हुए थे.

बरगद के पेड़ का भूत
चंंपकवन की यह शाम ठंडी और धुंध भरी थी और जंगल असामान्य रूप से शांत था. इतना ही नहीं, चहचहाते झींगुर भी शांत हो गए थे. चीकू खरगोश और मीकू चूहा, स्कूल में एक दिन बिताने के बाद लौट रहे थे और आनंदवन में होने वाली खेल प्रतियोगिता के बारे में बातें कर रहे थे.

खोया हुआ दोस्त
मंची कैटरपिलर और बैडी सेंटीपीड बहुत अच्छे दोस्त थे. उन दोनों के कई पैर थे और उन्हें हरीभरी घास के बीच एकदूसरे के साथ दौड़ लगाना पसंद था.

मिशन अखरोट
बसंत के आगमन के साथ, ब्लूहिल वन गतिविधि से गुलजार हो गया था. जानवर और पक्षी अपने वार्षिक वसंत मेले की तैयारी में व्यस्त थे.

बुरा न मानो होली है
होली दो दिन बाद आने वाली थी और मिली मीरकैट, रोहित रैकून, पोपो पैराकीट और हसन हेजहोग इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि त्योहार कैसे मनाया जाए.

रंगों और पकवानों के साथ होली
“होली रे होली, होली आई रे,” चेतन की दादी के आंगन में खुशी की धुनें गूंज रही थीं। बच्चे इधरउधर दौड़ रहे थे, एकदूसरे पर रंग फेंक रहे थे। उन में से कुछ खंभों के पीछे छिप कर रंगों से बचने की कोशिश कर रहे थे। गुलाल, फूटते पानी के गुब्बारों और पानी की पिचकारियों के रंगबिरंगे स्प्रे से पूरे आंगन में अफरातफरी का माहौल था.

हर्बल होली
होली नजदीक आ रही है. चलो, इस बार कुछ अलग करते हैं,” डिंकी हिरणी ने अपनी सहेलियों से कहा.