महाराष्ट्र के सांगली जिले में म्हैसल गांव के रहने वाले शिक्षक और डाक्टर भाइयों के 2 परिवारों की जिंदगी मजे में कट रही थी. सभी सामान्य मध्यमवर्गीय जीवनशैली गुजार रहे थे. वे मिरज तहसील के इस गांव में रहने वाले एक चर्चित खानदान से थे.
नरवाड के रास्ते पर इस गांव में करीब 70 साल पुराना एक घर उन्हीं वानमोरे बंधुओं का है. दोनों यल्लाप्पा वानमोरे के बेटे हैं. एक समय में उन के पास 2 एकड़ जमीन थी.
कुछ पहले दोनों भाइयों के बीच घर का बंटवारा हो गया और उन्होंने कुछ जमीनें बेच डाली थीं. कहने को तो पशु चिकित्सक माणिक वानमोरे ने अंबिका नगर और पोपट वानमोरे ने शिवशंकर नगर इलाके में अलगअलग बंगले बनवा लिए थे, किंतु उन की 72 साल की मां आक्काताई यल्लाप्पा वानमोरे पुराने मकान में ही रहती थीं. इस कारण दोनों परिवार का वहां अकसर मिलनाजुलना होता रहता था.
उन के बीच पारिवारिक संबंध मधुर बने हुए थे. सभी सदस्यों का एकदूसरे के घरों में आनाजाना लगा रहता था.
यह कहें कि उन से पुश्तैनी घर भी गुलजार बना रहता था, किंतु 20 जून, 2022 की सुबह से वहां सन्नाटा पसर गया. पूरे गांव में मातम का माहौल बन गया. इस का कारण उस घर से एक साथ 9 लाशों का बरामद होना था.
सभी लाशें दोनों भाइयों के परिवार के सदस्यों की थीं. उन की एक साथ हुई संदिग्ध मौत से पूरा गांव गमगीन हो गया था. मरने वालों में माणिक वानमोरे ओर पोपट वानमोरे भी थे.
दोनों परिवार सारे पर्वत्यौहार या घरेलू आयोजन एक साथ मनाते थे. किसी के घर में कुछ भी आयोजन हो, वे एक साथ मिल कर खुशियां बांटते थे.
इतना ही नहीं, कोई भी जरूरी निर्णय लेना हो, वे इकट्ठे लिया करते थे. उन की एकमात्र बुजुर्ग सदस्य 72 वर्षीया अक्काताई अपने पुश्तैनी घर के अलावा अकसर माणिक के घर पर ही रहती थीं, लेकिन उन का दोनों भाइयों के परिवार में आनाजाना लगा रहता था.
पोपट की बेटी अर्चना बैंक औफ इंडिया के कोल्हापुर की एक शाखा में नौकरी करती थी. उस के साथ अक्काताई भी रहने चली गई थीं, लेकिन 18 और 19 जून को शनिवार और रविवार की छुट्टी होने के कारण पोपट ने अपनी मां और बेटी को कोल्हापुर से बुला लिया था. 2 दादी और पोती 18 जून की सुबह ही अपने गांव आ गई थीं. वानमोरे बंधुओं के सभी सदस्य एक घरेलू आयोजन के सिलसिले में जुटे थे.
Denne historien er fra August 2022-utgaven av Manohar Kahaniyan.
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