बराथ गांव जिला अल्मोड़ा का निवासी विनोद 4 नवंबर, 2024 की सुबह जल्दी से उठ कर नहाधो कर तैयार हो गया था. उस ने अपना बैग तैयार किया और नाश्ता करने लगा. असल में विनोद को काशीपुर जिला ऊधमसिंह में अपने चचेरे भाई चंद्रशेखर की तेरहवीं के कार्यक्रम में शामिल होने जाना था.
विनोद का दोपहर में बराथ गांव से निकलने का प्रोग्राम था, लेकिन सुबह 5 बजे विनोद के ताऊ के बेटे संतोष का हल्द्वानी से उस के पास फोन आ गया. संतोष हल्द्वानी में स्थित एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत था.
"भाई साहब, मैं भी तेरहवीं में शामिल होने आ रहा हूं. आप ऐसा करना सुबह 7 बजे की पहली बस में रामनगर आ जाना. मैं हल्द्वानी से अपनी कार से रामनगर आ जाऊंगा. उस के बाद हम दोनों भाई साथसाथ कार में काशीपुर चले जाएंगे." संतोष ने फोन पर कहा.
"संतोष, पहले तो तुम्हें छुट्टी नहीं मिल रही थी?” विनोद ने पूछा.
"भाई साहब, मैं ने पहले तो कहा था, परंतु रात को ही मैनेजर साहब आ गए थे और फिर उन्होंने सुबह फोन कर के मुझे 2 दिन की छुट्टी दे दी तो आप को मैं ने सुबहसुबह तैयार रहने को कह दिया. सौरी भाई साहब, अब मैं भी तैयार हो कर औफिस जा रहा हूं, कुछ पेंडिंग काम निपटा कर मैं रामनगर के लिए निकल पड़ेगा. अच्छा प्रणाम भाई साहब!" कहते हुए संतोष ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
विनोद ने जल्दी जल्दी नाश्ता किया और 4 नवंबर, 2024 की सुबह 7 बजे अल्मोड़ा से रामनगर जाने वाली बस संख्या यूके 12पीए 0061 में बैठ गया. बस में अभी तक 10-12 सवारियां बैठ चुकी थीं. विनोद को आगे की सीट सदा पसंद थी, इसलिए वह ड्राइवर के सामने वाली सीट पर बैठ गया. अपना बैग उस ने अपनी गोदी में रख लिया. बस आगे बढ़ने लगी तो रास्ते में चढ़ने वाले लोग बैठते जा रहे थे.
जब बस पूरी तरह भर गई तो रास्ते में चढ़ने वाले लोग बस में खड़े होने लगे. रात को विनोद देर से सोया था और सुबह पहली बस में जाने के कारण उसे जल्दी उठना पड़ा था. इसलिए उस की आंखें मुंदने लगीं. कभी दाएं तो कभी बाएं उस की गरदन लटकती जा थी. आखिरकार, वह अपना मुंह नीचा कर के बैग पर सिर झुका कर सो गया.
Denne historien er fra December 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
500 बच्चे बेचने वाला गिरोह
संग्राम दास (38 साल) के बच्चा चोर गैंग में अधिकांश महिलाएं शामिल थीं. यह गैंग देश के अलगअलग क्षेत्रों से करीब 500 बच्चों को चुरा कर जरूरतमंदों को लाखों रुपए में बेच चुका है. आप भी जानें कि गैंग के सदस्य किस तरह बच्चों की सौदेबाजी करते थे?
प्रेमिका की जिद मिली सिर्फ मौत
विवाहित राम सिंह 20 वर्षीय प्रेमिका कमलेश की फरमाइशों से तंग आ चुका था. रोजरोज पैसे, कपडेलत्ते और खरीदारी की मांग से अधिक परेशान वह उस की शादी करने की जिद को ले कर था. इस से छुटकारा पाने के लिए एक दिन उस ने जो किया, उस से वह उलटे मुसीबत में फंस गया. आखिर क्या किया था राम सिंह ने अपनी महबूबा के साथ? उसकी बीवी का क्या हुआ? पढ़ें सब कुछ इस कहानी में....
साले से प्यार पर बहन को मरवाया
मीनू की शादी दमकल विभाग में फायरमैन लल्लू सिंह के साथ कर के परिवार के सब लोग खुश थे. लल्लू सिंह हर तरह से मीनू का खयाल रखता था. इसी बीच एक ऐसी घटना घटी कि मीनू के इकलौते भाई धर्मेंद्र सिंह यादव ने सिर्फ मीनू बल्कि उसके पति और दोनों बच्चों की हत्या कराने के लिए बदमाशों को 10 लाख की सुपारी भी दे दी. आखिर, धर्मेंद्र के दिल में ऐसी कौन सी आग धधक रही थी? पढ़ें, यह दिलचस्प कहानी.
करवाचौथ पर मिली मौत
19 वर्षीय सोनी को बाद में पता चला कि उस के प्रेमी संजू ने हिंदू बन कर उसे फंसाया है और उस का असली नाम संजू नहीं सलीम है, इस के बावजूद भी वह उस से शादी करने को तैयार थी. इस के लिए सलीम भी तैयार हो गया और वह सोनी के घर में ही रहने लगा. फिर करवाचौथ के दिन सोनी और सलीम गायब हो गए. इस के बाद जो घटना घटी, वह....
मां ने कराया बेटेबहू का कत्ल
ललिता देवी ने अपने भाई के सहयोग से अपने बेटे और बहू, जिन की शादी को मात्र 10 महीने ही हुए थे, का कत्ल करा दिया. सगी मां अपनी ही औलाद और नववधू की दुश्मन क्यों बनी? आखिर किस बात का डर था, जो मां ने बेटेबहू को अपने साम गोली मरवा दी. पढ़ें, दिल को दहला देने वाली डबल मर्डर की यह कहानी.
रामनगर बस हादसा 38 की गई जान
सवारियों से खचाखच भरी बस गहरी खाई में गिरी तो यात्रियों की चीखों से घाटी गूंज उठी. इस हादसे में 38 यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 25 गंभीर रूप से घायल हो गए. आखिर इस हादसे की असली वजह क्या रही?
दिल्ली में शादी लंदन में मर्डर
सबीर ब्रेला ने 24 वर्षीय हर्षिता ब्रेला की शादी लंदन में नौकरी करने वाले पंकज लांबा के साथ यह सोच कर की थी कि विदेश में बेटी खुश रहेगी. पंकज वैसे भी दिल्ली में उन के इलाके का ही रहने वाला था. लेकिन हर्षिता के लंदन, जाने के 8 महीने बाद ही उस की लाश एक कार की डिक्की में मिली. किस ने और क्यों की हर्षिता की हत्या?
27 साल बाद बदले की आग में 5 हत्याएँ
बचपन में जिस विक्की ने अपने मांबाप का खून होते हुए अपनी आंखों से देखा था, उसे वह चाह कर भी भुला नहीं पाया था. उस के अंदर जल रही बदले की आग 27 साल बाद जब ज्वाला बनी तो उस में 5 लोग भस्म हो गए. आखिर कौन थे वो लोग?
मुंह बोले भाई ने किए अनीता के 6 टुकड़े
50 वर्षीय अनीता चौधरी और गुलामुद्दीन फारुखी मुंहबोले भाईबहन थे. अनीता उसे जबतब आर्थिक सहयोग भी करती रहती थी. इतने गहरे संबंध होने के बावजूद गुलामुद्दीन ने अनीता की एक दिन न सिर्फ हत्या कर दी, बल्कि उसकी लाश के 6 टुकड़े कर अपने घर के सामने दफन कर दिए. आखिर उस ने ऐसा क्यों किया?
तांत्रिक के बहकावे में दी बेटी की बलि
मामला मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र का है. यहां बेलदा गांव में रहने वाला गोपाल कश्यप और उस की बीवी ममता पर अपनी एक माह की बेटी की बलि देने का आरोप है. पुलिस के अनुसार दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है.