राजस्थान की खूबसूरत अरावली की पहाड़ियों से घिरे अजमेर जिले से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है देराठू गांव. यह गांव सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली देश की प्रमुख नसीराबाद सैन्य छावनी के निकट नैशनल हाईवे के किनारे बसा है. करीब 10 हजार की आबादी वाला यह एक बड़ा और विकसित गांव है.
वैसे कहने को ही यह गांव है क्योंकि यहां रहने वाले लोगों की जीवनशैली आधुनिक है. गांव के लड़केलड़कियां नसीराबाद और अजमेर के स्कूलोंकालेजों में पढ़ने जाते हैं, जिस से उन का उठनाबैठना दिन भर शहरी क्षेत्र में ही रहता है. इसलिए इन के दोस्त भी ज्यादातर शहर के हैं.
इसी गांव का रहने वाला 22 वर्षीय पिंटू सिंह रावत एक गबरू जवान था, जो ग्रैजुएट होने के साथ ही आकर्षक व्यक्तित्व का था, जिससे दूसरों से अलग दिखाई देता था. उसे दोस्तों के साथ बाइक पर घूमना और अच्छे कपड़े पहनना बेहद पसंद था.
गांव की ज्यादातर लड़कियां नसीराबाद पढ़ने जाती थीं. इन्हीं में एक 16 वर्षीय पिंकी भी थी, जिस ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. वह भले ही नाबालिग थी, लेकिन उसे दुनियादारी की अच्छी समझ हो चुकी थी.
पिंटू सिंह उस के भाई सुरेंद्र का दोस्त होने के कारण उस के घर आताजाता था और अकसर उस के भाई सुरेंद्र के साथ बैठकर शराब भी पीता था. पिंटू दरअसल पहले सुरेंद्र का दोस्त नहीं था, पर जब उस की नजर सुरेंद्र की छोटी बहन पर पड़ी तो उस ने उस से दोस्ती कर ली.
चोरीछिपे मिलने के बजाय इस दोस्ती के कारण अब उस की पहुंच पिंकी के घर तक हो गई थी. अब जब भी मौका मिलता, उस से मिलने उस के घर पहुंच जाता. उधर पढ़ाई छोड़ कर घर बैठी पिंकी को भी उस से मिलना अच्छा लगने लगा था.
प्यार की खनखनाहट पहुंची घर वालों के कानों तक
दोनों के बीच सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. वहीं खर्चे पूरे करने के लिए पिंटू ने आगे पढ़ाई का विचार छोड़ कर अजमेर के इंडस्ट्रीयल एरिया माखूपुरा स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली थी. पैसे आने लगे तो उस ने एक मोबाइल फोन खरीद कर प्रेमिका पिंकी को गिफ्ट कर दिया था, जिस से उस से बातचीत हो जाती थी और घर में उस के अकेले होने की सूचना भी मिल जाती थी. ये दोनों इस मौके का फायदा उठाने से नहीं चूकते थे.
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