फरजी एमबीबीएस दाखिले करोड़ों लूटे
Manohar Kahaniyan|March 2023
बढ़ती महंगाई में आजकल डाक्टरी की पढ़ाई करना आसान नहीं है, लेकिन इसी बीच जब डाक्टर बनने का ख्वाब देखने वाले युवकों को पता चला कि नोएडा में एक संस्थान 15-30 लाख रुपए में नामी मैडिकल कालेजों में एमबीबीएस में दाखिला करा रहा है तो वहां दाखिला पाने वालों की लाइन लग गई. उन युवकों ने दाखिले के लिए पैसे भी जमा करा दिए. डाक्टर बनने का सपना पाले उन युवकों का कहीं दाखिला हो पाता, उस से पहले ही...
उमेश त्रिवेदी
फरजी एमबीबीएस दाखिले करोड़ों लूटे

त्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में रहने वाला चंद्रेश गुप्ता अपने कमरे में बैठा सुबह की चाय का इंतजार कर रहा था, उसे नौकरी का इंटरव्यू देने के लिए 9 बजे घर से निकलना था. चंद्रेश ने इसी साल मेरठ से बीएससी की थी, नोएडा की एक फार्मा कंपनी में नौकरी के लिए निकली वैकेंसी के लिए आवेदन भी कर दिया था. उसे इंटरव्यू का लैटर मिल गया था, इसलिए वह नहाधो कर तैयार बैठा था. एकाएक उस के कानों में भाभी रमा की दर्दभरी चीख सुनाई पड़ी, "ऊई मांऽऽ."

"क्या हुआ भाभी?" चंद्रेश घबरा कर किचन की तरफ दौड़ते हुए चिल्लाया.

"अंगुली कट गई लाला." रमा अपनी बाईं हाथ की एक अंगुली को दूसरे हाथ से दबाए हुए दर्द भरे स्वर में बोली.

चंद्रेश ने भाभी की कटी अंगुली से खून टपकता देखा तो वह घबरा कर बोला, "क्या करती हो भाभी ? कैसे काट ही अंगुली?"

"प्याज काट रही थी लाला. सोचा था, तुम्हारे लिए परांठे और आलू की भुजिया बना दूं. इंटरव्यू देने जा रहे हो, पता नहीं कितना समय लग जाए. नाश्ता कर के जाना जरूरी है." रमा दर्द से कराहते हुए बोली..

"आप अंगुली दबा कर रखो, मैं फर्स्टएड बौक्स ले कर आता हूं." चंद्रेश ने कहा और तेजी से कमरे की तरफ लपक कर गया.

उस ने दराज में रखा फर्स्टएड बौक्स निकाला और किचन में ले आया. उस ने बौक्स में से एंटीसेप्टिक क्रीम, डिटोल और कौटन पट्टी निकाली. पहले कौटन पर डिटोल लगा कर रमा की अंगुली से बह रहे खून को कौटन से साफ किया. डिटोल से खून रोकने के बाद चंद्रेश ने साफ कौटन पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाई और कटी अंगुली पर पट्टी बांध दी.

रमा बड़े गौर से अपने देवर द्वारा अपनी की अंगुली पर पट्टी बांधते हुए देख रही थी. पट्टी हो गई तो रमा मुसकरा कर बोली, "तुम तो पूरे डाक्टर बन गए हो लाला."

"कहां भाभी ?" चंद्रेश गहरी सांस भर कर बोला, "भैया से कितनी बार कहा है कि जब साइंस सबजेक्ट से ग्रैजुएशन करवा दिए हो तो मुझे डाक्टरी की पढ़ाई भी करवा दो, लेकिन भैया हैं कि सुनते ही नहीं."

Denne historien er fra March 2023-utgaven av Manohar Kahaniyan.

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