ट्रिपल मर्डर केस फेसबुकिया प्यार हुआ खूंखार
Manohar Kahaniyan|September 2023
21 वर्षीया संघमित्रा घोष ने फेसबुक फ्रेंड मैकेनिकल इंजीनियर 22 वर्षीय संजीव बोरा से कोर्ट मैरिज कर ली. शादी के बाद पता चला कि संजीव हिंदू नहीं, मुसलमान है और उस का असली नाम नजीबुर रहमान बोरा है तो संघमित्रा को अपने फैसले पर बहुत पछतावा हुआ. फिर भी वह उस के साथ ही रही. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि नजीबुर रहमान ने न सिर्फ संघमित्रा की बल्कि उस के मम्मीपापा की भी कुल्हाड़ी से निर्मम हत्या कर दी? पढ़िए, प्रेम प्रसंग की यह सनसनीखेज कहानी.
नवीन पोखरियाल
ट्रिपल मर्डर केस फेसबुकिया प्यार हुआ खूंखार

21 वर्षीया संघमित्रा घोष असम के गोलाघाट शहर के हिंदू स्कूल रोड की रहने वाली थी. उस के परिवार में पापा संजीव घोष, मम्मी जुनू घोष के अलावा एक छोटी बहन अंकिता घोष थी. संघमित्रा घोष के पिता एक फैक्ट्री में मैनेजर थे. घर में हर तरह से खुशहाली थी. संघमित्रा ने साल 2020 में बीकौम की परीक्षा पास कर ली थी, उस का आगे का इरादा प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित हो कर एक अच्छी नौकरी पाने का था.

उसी दौरान कोरोना के कारण पूरे देश में अफरातफरी का माहौल हो गया था. अपनी जान बचाने के लिए सभी लोग अपनेअपने घरों में कैद हो कर रह गए थे.

अब घर में बैठेबैठे बोर होने के कारण लगभग सभी आयु वर्ग के लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर अपना दिल बहलाने लगे थे. संघमित्रा एक दिन रात को अपने फेसबुक में व्यस्त थी, तभी उसे एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई. संजीव बोरा उस युवक का नाम था. फोटो में वह युवक काफी स्मार्ट नजर आ रहा था, संघमित्रा ने सोचा ऐसे ही कोई दिलफेंक युवक होगा, इसलिए उस ने उस की फ्रेंड रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दी. बात आईगई हो गई.

वैसे तो लगभग रोज ही संघमित्रा को 1015 लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट आती थीं, जिन में से अधिकतर उस की पुरानी सहेलियां और क्लासमेट या रिश्तेदारों की हुआ करती थीं. परंतु पिछले 10 दिन से लगातार संजीव बोरा की फ्रेंड रिक्वेस्ट रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. संघमित्रा रोज उस की रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कर देती थी, लेकिन संजीव बोरा ढीठ था, फिर दूसरे दिन संघमित्रा को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देता था.

आखिरकार एक दिन संघमित्रा ने न जाने क्या सोच कर संजीव बोरा की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ही ली.

जैसे ही संघमित्रा ने संजीव बोरा की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार की, इस के अगले ही पल संजीव बोरा का मैसेज आ गया, "संघमित्रा जी, आप ने इतने दिन तरसाने के बाद मेरी आरजू पूरी कर ली. इस के लिए आप का बहुतबहुत शुक्रिया!"

"संजीवजी, इतनी जल्दी किसी पर एकदम से विश्वास कर लेना ठीक नहीं होता इसीलिए मैं किसी भी अपरिचित को इतनी जल्दी अपना दोस्त नहीं बनाती, "संघमित्रा ने लिखा.

"जी, आप ने सही कहा, मगर आप मुझ पर पूरा भरोसा कर सकती हैं." उधर से जबाब आया.

“आप करते क्या हैं? कितना पढ़ेलिखे हैं आप ?" संघमित्रा ने पूछा.

Denne historien er fra September 2023-utgaven av Manohar Kahaniyan.

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