प्रीति को डा. सुधा के घर लाने से पहले ही सचिन ने उसे अच्छी तरह से समझा दिया था. हालांकि डा. सुधा का बेटा शिवम देखनेभालने में स्मार्ट था, लेकिन जब इंसान दिमागी रूप से अस्वस्थ हो तो उस की सुंदरता का कोई लाभ नहीं. फिर भी प्रीति ने डा. सुधा के घर आते ही अपना पूरा ध्यान शिवम पर फोकस कर दिया था.
वह घर के कामकाज करने के साथसाथ पूरे दिन शिवम की ही चापालूसी में लगी रहती थी. जिस से शिवम भी उस के साथ खुश रहने लगा था. उस के साथसाथ प्रीति डा. सुधा का भी पूरा ध्यान रखती थी. जिस के कारण कुछ ही दिनों में प्रीति ने डा. सुधा का मन जीत लिया और वह जल्दी ही उन के घर के सदस्य की तरह बन गई थी.
खुश हो कर डा. सुधा ने जब प्रीति की तारीफ करनी शुरू कर दी, तब प्रीति उस घर की बहू बनने के सपने संजोने लगी थी. कुछ ही दिनों में उस के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया था. उस ने पूरी तरह से खुद को डा. सुधा के परिवार के अनुरूप ही ढाल लिया था. वह हर रोज महंगे कपड़े पहन कर बनठन कर रहती थी.
22 फरवरी, 2023 को डा. आकांक्षा ने अपनी मम्मी डा. सुधा सिंह को फोन किया, "कैसी हो मम्मी? कुछ खापी भी रही हो या नहीं?"
"हां बेटी, अब तो ठीक हूं मैं. बेटी, अब तू मेरी चिंता छोड़ दे. तेरे सचिन अंकल ने मेरी सेवा के लिए प्रीति नाम की एक मेड रखवा दी है. वह मेरी पूरी तरह से सेवा कर रही है." डा. सुधा ने बताया.
डा. आकांक्षा सचिन को अच्छी तरह से जानती थी. सचिन का उन के घर पर पहले से ही आनाजाना था. यह सुन कर डा. आकांक्षा ने कुछ राहत की सांस ली. सोचा कि अब उसी के सहारे उस के भाई शिवम को भी खानापीना ठीक से मिल जाया करेगा.
Denne historien er fra December 2023-utgaven av Manohar Kahaniyan.
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