शहपुरा पुलिस फोरैंसिक टीम के साथ जब जांच के लिए एसडीएम बंगले पर पहुंची तो पाया कि एसडीएम निशा की मौत जिस कमरे में हुई थी, वहां के बैड की बैडशीट और तकिया का कवर वहां मौजूद नहीं था. पुलिस टीम ने जब मनीष से इस के बारे में पूछा तो उस ने कहा, "मैडम को उल्टी होने पर नाक से ब्लड आया था, जिस से कपड़े खराब हो गए थे. इसी वजह से उस ने बैडशीट और तकिए का कवर मशीन धोने के लिए डाला था.' " पुलिस टीम ने जब वाशिंग मशीन का ढक्कन खोला तो बैडशीट और तकिए के कवर के साथ एसडीएम निशा के कपड़े भी मशीन के सुखाने वाले पोर्शन में पड़े हुए थे.
पुलिस टीम यह सोच कर हैरान थी कि एसडीएम बंगले पर मौजूद कर्मचारी से कपड़े मशीन में धुलवाने के बजाय मनीष ने खुद यह काम क्यों किया. मनीष के इसी बयान पर पुलिस का शक यकीन में बदल गया.
रविवार 28 जनवरी, 2024 का दिन था और मौसम का सब से सर्द दिन. ऐसे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात सीनियर डा. रत्नेश द्विवेदी अपने सरकारी आवास पर बैठे धूप का आनंद ले रहे थे, तभी दोपहर करीब 2 बजे उन के मोबाइल फोन पर घंटी बजी.
जैसे उन्होंने काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से हड़बड़ी में एक आवाज सुनाई दी, "डाक्टर साहब, मैं गाड़ी भेज रहा हूं, जल्दी से एसडीएम के बंगले पर आ जाइए. मैडम की तबीयत ज्यादा खराब है."
फोन मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले की तहसील शहपुरा की एसडीएम निशा नापित के बंगले से आया था, लिहाजा डा. रत्नेश द्विवेदी बिना देर किए तैयार हो गए और जैसे ही गाड़ी आई, उस में बैठ कर वह एसडीएम बंगले पर पहुंच गए.
बंगले के बाहर एक शख्स उन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. जैसे ही डा. द्विवेदी गाड़ी से उतरे तुरंत ही उस शख्स ने कहा, "डाक्टर साहब, अंदर चलिए. मैडम सुबह 10 बजे के बाद से ही कुछ बोल नहीं रहीं."
डा. रत्नेश द्विवेदी उस शख्स के साथ बंगले के अंदर दाखिल हुए. एसडीएम निशा नापित अपने बैड पर बेहाल पड़ी थीं. डा. द्विवेदी ने स्टेथेस्कोप के एक सिरे को अपने कानों से और उस का दूसरा सिरा मैडम के सीने के बाईं ओर लगाया और उस शख्स से मुखातिब होते हुए बोले, "मैडम की ऐसी हालत कब से है?"
Denne historien er fra March 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra March 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
तांत्रिक के बहकावे में दी बेटी की बलि
मामला मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र का है. यहां बेलदा गांव में रहने वाला गोपाल कश्यप और उस की बीवी ममता पर अपनी एक माह की बेटी की बलि देने का आरोप है. पुलिस के अनुसार दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है.
दूसरे धर्म के प्रेमी ने की हत्या
सलीम नाम के युवक ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर 19 साल की अपनी प्रेग्नेंट प्रेमिका की हत्या कर शव दफना दिया. को खुलासा तब हुआ, जब 26 अक्तूबर किशोरी का शव बरामद किया गया.
बीवी की हत्या से खुला दोस्त की पत्नी की हत्या का राज
बीवी ब्यूटीशियन और पति एक नंबर का नशेड़ी और बेशर्म. ऊपर निकम्मा व बेरोजगार. आखिर कितने दिन निभती. उन की जिंदगी के मैदान से ले कर मन तक में भी कोहराम मच गया था.
भाई ने कर दी भाई की हत्या
भाभी का देवर से हंसीमजाक बहुत ही 'सामान्य बात है, किंतु यही जब अवैध संबंध में बदल जाता है, तब मानो दोनों के सिर से पानी गुजरने जैसी स्थिति बन जाती है.
हनीट्रैप गैंग में ऐसे फंसते थे लोग
जेल से छूटने के बाद फिरोज ने 7 लोगों के साथ हनीट्रैप का एक गैंग बना लिया था. गैंग में शामिल निशा और जुनैदा फोन से नए लोगों से बात कर दोस्ती करतीं और शारीरिक संबंध बनाने के लिए किसी होटल में बुलाती थीं. इस के आगे का काम गैंग के अन्य सदस्य करते थे. फिर शुरू होती थी शिकार से लाखों रुपए की वसूली. आप भी जानें कि ऐसे गैंग से कैसे बचा जाए?
बड़ौदा के महाराजा का जहरीला कारनामा
बड़ौदा के 11वें शासक मल्हारराव गायकवाड़ के शासन में गुंडागर्दी और अराजकता चरम पर पहुंच गई थी. तब अंगरेज शासकों ने राबर्ट फेयर को रेजीडेंट के रूप में नियुक्त किया. लेकिन मल्हारराव ने जिस तरह राबर्ट फेयर को मारने की कोशिश की, वह उन्हीं के गले की ऐसी फांस बन गई कि .....
महानगरों में जड़ें जमाता ड्रग्स का कारोबार
गुजरात ऐसा राज्य है, जहां पर सुशासन क दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार लंबे समय से है. इस के बावजूद इस राज्य के बंदरगाह पर भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी जा रही है. यहीं से ड्रग्स अन्य राज्यों में पहुंचाई जाती है. महानगरों के युवा बड़ी तेजी से ड्रग्स की गिरफ्त में आखिर क्यों आते जा रहे हैं?
साधु के भेष में मिला 300 करोड़ का घोटालेबाज
300 करोड़ रुपए का घोटाला कर एक क्रेडिट सोसाइटी का डायरेक्टर साधु बन कर मंदिरों में प्रवचन करने लगा. पुलिस की आंखों में 14 महीने से धूल झोंक रहे इस नटवरलाल को दबोचने के लिए आखिर कैसा कैसा चोला धारण करना पड़ा? पढ़िए, इस रोचक कहानी में....
इश्क में अंधे वकील ने ली बीवी की जान
कहने को तो विशाल चौहान कानून का रखवाला था, लेकिन उस ने बीवी बच्चों के रहते न सिर्फ छोटे भाई की पत्नी को फांस रखा था, बल्कि दोस्त की बहन से शादी करने की तैयारी कर रहा था. एक ने वकील होते हुए उस ने कानून तोड़ने का जो दुस्साहस किया था, उस के अंजाम में उस की 35 वर्षीय पत्नी वर्षा गोलियों का शिकार हो गई. आखिर किस कदर बिछती चली गई जुर्म की बिसात? पढ़ें, सब कुछ इस कथा में....
विवाहिता के प्यार में 4 हत्याएं
सरकारी टीचर सुनील गौतम अपनी पत्नी पूनम भारती और 2 बेटियों के साथ अमेठी में रहता था. वह अपने काम से काम रखता था. फिर एक दिन किसी ने सुनील, उस की पत्नी और दोनों बेटियों को घर में घुस कर गोलियों से भून डाला. आखिर कौन था हत्यारा और क्यों की उस ने ये हत्याएं ?