सैंटियागो मार्टिन दिहाड़ी मजदूर से कैसे बना लौटरी किंग
Manohar Kahaniyan|May 2024
सोशल मीडिया पर आजकल एक नाम बहुत ज्यादा वायरल हो रहा है और वह है लौटरी किंग सैंटियागो मार्टिन का. सब से अधिक चुनावी बौंड खरीदने वाला एक दिहाड़ी मजदूर मार्टिन आखिर कैसे बना लौटरी किंग?
वीरेंद्र बहादुर सिंह
सैंटियागो मार्टिन दिहाड़ी मजदूर से कैसे बना लौटरी किंग

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 12 मार्च, 2024 को चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बौंड से जुड़ी जो जानकारी उपलब्ध कराई थी, 14 मार्च, 2024 को चुनाव आयोग ने उस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया था. इस जानकारी से पता चला कि इलेक्टोरल बौंड के जरिए सब से ज्यादा चंदा फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने दिया था.

चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने अक्तूबर, 2020 से ले कर जनवरी, 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बौंड खरीदे थे यानी चुनावी फंड दिया था. कंपनी ने सब से अधिक इलेक्टोरल बौं अक्तूबर, 2021 में 195 करोड़ रुपए के खरीदे थे. जनवरी, 2022 में इस कंपनी ने 210 करोड़ रुपए के चुनावी बौंड खरीदे.

अब यहां यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि यह फ्यूचर गेमिंग कंपनी कितनी बड़ी है, कौन सा बिजनेस करती है और किस की है, जिस ने चुनावी चंदे के रूप में इतनी मोटी रकम दी है? आइए, सब से पहले तो यह जानते हैं कि यह फ्यूचर गेमिंग कंपनी करती क्या है?

फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज कंपनी की स्थापना साल 1991 में भारत के लौटरी किंग कहे जाने वाले सैंटियागो मार्टिन ने की थी. कंपनी की स्थापना तो तमिलनाडु में हुई थी, लेकिन राज्य में लौटरी पर बैन होने के कारण मार्टिन ने अपना अधिकतर व्यवसाय केरल और कर्नाटक में ट्रांसफर कर लिया था. कंपनी भले ही तमिलनाडु के कोयंबटूर में थी, लेकिन इस के खातों की किताबों में जो पता दर्ज था, वह कोलकाता का था. मजे की बात तो यह थी कि यह कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड भी नहीं थी.

कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को पहले मार्टिन लौटरी एजेंसीज के नाम से जाना जाता था. नाम से ही पता चलता है कि यह कंपनी लौटरी का बिजनैस करती थी.

यह कंपनी 2 अरब डालर से अधिक के कारोबार के साथ भारत के लौटरी उद्योग में पहले नंबर पर थी. इस ने प्रतिदिन एक करोड़ से अधिक की लौटरी बेची और राज्य सरकारों को टैक्स के रूप में मोटी रकम चुकाई.

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