नेम और फेम पाने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती. सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी उम्र में की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती. छोटी उम्र में ही बड़ा नाम करने वाले भविष्य के अंबानी तिलक मेहता, पी.टी. ऊषा की तरह दौड़ने वाली एथलीट पूजा बिश्नोई, रंगों और ब्रश से खेलने वाले पेंटर अद्वैत कोलारकर, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अर्शदीप सिंह, गूगल बौय कौटिल्य पंडित, शतरंज खिलाड़ी रमेश बाबू प्रगनानंद, कत्थक नृत्यांगना वृति गुजराल बच्चों के लिए एक रोल माडल बन कर उभरे हैं, जो अपने फील्ड में आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला को लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
भारत के ये प्रतिभाशाली 7 बच्चे दुनिया के 7 अजूबों से कम नहीं हैं. इन प्रतिभाशाली बच्चों से दूसरे बच्चे भी सबक ले सकते हैं और अपनी रुचि के अनुसार अपनी जीवन की राह को आसान बना सकते हैं. आइए, हम ऐसे ही बच्चों के हुनर के बारे में जानते हैं.
13 साल में स्टार्टअप कंपनी बनाने वाले तिलक मेहता कहते हैं कि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती. अगर आप ठान लें और उस काम को मेहनत से करें तो सफलता आप के कदम चूमेगी. इस बात को साबित कर दिखाया है तिलक मेहता ने जिस उम्र में लोग स्कूल की पढ़ाई, खेलकूद और मौजमस्ती में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में तिलक ने 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी है.
13 साल की उम्र में स्टार्टअप कंपनी 'पेपर-एन-पार्सल' शुरू करने वाले तिलक मेहता का जन्म वर्ष 2006 में गुजरात में हुआ था. उन के पिता विशाल मेहता मुंबई में रह कर एक लौजिस्टिक्स आधारित कंपनी से जुड़े हैं और तिलक की मां काजल मेहता एक सफल गृहिणी हैं.
जब तिलक 13 वर्ष के थे, तब एक घटना ने उन को एक व्यवसाय शुरू करने का आइडिया दिया था. बात 2018 की है, जब तिलक 8वीं कक्षा में थे. अपने ऑफिस से थकेहारे लौट कर घर आते पिता की परेशानी ने तिलक मेहता को खुद का बिजनैस करने का आइडिया दिया था.
ऑफिस से लौटने के बाद जब भी वह अपने पिता से बाजार से स्टेशनरी का सामान लाने को कहते तो उन्हें बहुत बुरा लगता था. पापा की थकान देख कर कभीकभी तो वह अपने स्कूल की पढ़ाई के लिए जरूरी स्टेशनरी की डिमांड भी नहीं करते थे.
Denne historien er fra September 2024-utgaven av Manohar Kahaniyan.
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रेप के बाद नर्स का मर्डर
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5 लाख के लालच में काट लाया सिर
अंधविश्वास में दिल्ली का एक युवक ऐसा फंसा कि उस ने दूसरे युवक की हत्या कर डाली. लालच 5 लाख रुपए बनाने का था, जो तंत्रमंत्र क्रिया पूरी होने के बाद मिलने वाले थे. इस के तहत एक युवक को किसी युवक का सिर काट कर लाने का औफर दिया गया था.
इंटरनैशनल किडनी गैंग
डा. डी. विजया राजकुमारी की देखरेख में चल रहा किडनी गैंग गरीब लोगों की किडनी 4-5 लाख में खरीद कर 35-40 लाख रुपए में बेचता था. आप भी जानें कि गैंग के सदस्य भारत के ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लोगों को किस तरह अपने जाल में फांस कर अपने काम को अंजाम देते थे.
ड्रम के नंबर से सुलझी मर्डर मिस्ट्री
हत्यारे ने 33 वर्षीय धर्मिष्ठा की हत्या कर ड्रम में डाल कर ऊपर से सीमेंट कंक्रीट का घोल भर दिया था, जिस से लाश पूरी तरह से सेट हो गई थी. आखिर, ड्रम के नंबर के आधार पर पुलिस हत्यारे तक पहुंच ही गई. कौन था हत्यारा, उस ने धर्मिष्ठा की हत्या क्यों की और लाश ठिकाने लगाने का उस ने ऐसा नायाब तरीका क्यों अपनाया?
सऊदी से लौटे प्रेमी को मौत का तोहफा
26 वर्षीय मोहम्मद वसीम अंसारी अपनी 17 वर्षीया गर्लफ्रेंड नरगिस से मिलने के लिए बेताब था. उस से मिलने की खातिर वह सऊदी अरब से इंडिया आया. यहां उस की 17 टुकड़ों में कटी लाश पुलिस ने बरामद की. आखिर किसने और क्यों की वसीम अंसारी की हत्या?
एक टुकड़ा सुख
संस्था में सुनील से मुलाकात के होने के बाद मुक्ता के मन में संस्था से निकल कर अपनी लाइफ को अपनी तरह से जीने की उम्मीद जागी थी. सुनील ने भी उस की सोच को नए पंख दे दिए थे. लेकिन यह पंख भी मुक्ता को एक टुकड़ा सुख से ज्यादा कुछ न दे सके.
7 अजूबों से कम नहीं ये होनहार बच्चे
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