आजकल आपने अपने दोस्तों से रेड फ्लैग या ग्रीन फ्लैग जैसे शब्द जरूर सुने होंगे। आपका या आपके किसी दोस्त का ब्रेकअप होने के बाद आपने उसके मुंह से सुना होगा कि तुम्हें पहले ही रे फ्लैग नहीं दिखे? रेड फ्लैग हमेशा से ही डेंजर या खतरे का संकेत देता रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय में इसे रिश्ते के खतरों को बताने के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसी प्रकार रिश्ते में ग्रीन फ्लैग एक तरह का सकारात्मक संकेत होता है। यह रिश्ते में मजबूत नींव को दर्शाता है। ग्रीन फ्लैग का मतलब होता है कि साथी आपके लिए सही है और आपको सम्मान देता है। रिश्ते में रेड और ग्रीन फ्लैग असल में क्या हैं और इनको किस तरह पहचाना जा सकता है, यह जानना आपके लिए भी जरूरी है।
आप उसके साथ सुरक्षित महसूस करें और आप जैसी हैं, वह आपको वैसा ही स्वीकारे, तो ये ग्रीन फ्लैग के संकेत हैं।
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।