इस महोत्सव में 50 से ज्यादा स्टाल लगाए गए, जिस पर 725 से ज्यादा आम की किस्मों का प्रदर्शन 300 से भी अधिक आम के बागबानों और विक्रेताओं द्वारा किया गया. इस मौके पर आम से बने उत्पादों हैंडीक्राफ्ट, फूड स्टाल, आदि के साथ आम खाने की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
मुख्यमंत्री ने किया आगाज
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि आम महोत्सव के माध्यम से हमारे किसानों और बागबानों की मेहनत व प्रदेश की औद्यानिक फसलों की संभावनाओं को देखने, समझने का अवसर प्राप्त हो रहा है. आम महोत्सव प्रदेश के कृषि उत्पादों को देश व दुनिया के बाजार में स्थान दिला रहा है. प्रदेश में आम की लगभग 1,000 हजार प्रजातियों का उत्पादन किया जाता है.
'आमरस महोत्सव' को भी सराहा गया
7 जुलाई से 9 जुलाई के बीच रूस की राजधानी मास्को में आयोजित 'आमरस महोत्सव' में प्रदेश के कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सम्मिलित हुआ.
प्रतिनिधिमंडल ने वहां प्रदेश के आम की प्रजातियों की मांग की संभावनाओं को देखा. उत्तर प्रदेश के आम की मांग वहां बहुत ज्यादा है. मास्को में 800 रुपए किलोग्राम के दाम पर प्रदेश के बागबानों/किसानों के आम खरीदे जा रहे हैं. हमारे किसानों को प्रति किलोग्राम 600 रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है, जो यहां के बाजार मूल्य से कई गुना अधिक है. अपने कृषि उत्पादों को खाड़ी देशों और यूरोपीय देशों तक पहुंचाने का यह सब से अच्छा समय है.
किसानों और निर्यातकों को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आम महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर आम बागबानी के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले किसानों और निर्यातकों को सम्मानित किया, जिस में सहारनपुर के राज सिंह, बुलंदशहर के राकेश त्यागी, बागपत के कृष्णपाल सिंह, अमरोहा के योगेश्वर सिंह, प्रतापगढ़ के राकेश चंद्र, बाराबंकी के शंभुनाथ, हरदोई के अजय कुमार सिंह, सीतापुर के कहद फारूखी, लखनऊ के अरुण कुमार सिंह, वाराणसी के अनिल सिंह शामिल रहे.
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कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.
सर्दी की फसल शलजम
कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.
राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान
हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.
करें पपीते की वैज्ञानिक खेती
पपीता एक महत्त्वपूर्ण फल है. हमारे देश में इस का उत्पादन पूरे साल किया जा सकता है. पपीते की खेती के लिए मुख्य रूप से जाना जाने वाला प्रदेश झारखंड है. यहां उचित जलवायु मिलने के कारण पपीते की अनेक किस्में तैयार की गई हैं.
दिसंबर महीने के जरुरी काम
आमतौर पर किसान नवंबर महीने में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई न हो पाई हो, तो उसे दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक जरूर निबटा दें.
चने की खेती और उपज बढाने के तरीके
भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.
रोटावेटर से जुताई
आजकल खेती में नएनए यंत्र आ रहे हैं. रोटावेटर ट्रैक्टर से चलने वाला जुताई का एक खास यंत्र है, जो दूसरे यंत्रों की 4-5 जुताई के बराबर अपनी एक ही जुताई से खेत को भुरभरा बना कर खेती योग्य बना देता है.
आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर
खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.
कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा
बातचीत : गौतम टेंटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री, मध्य प्रदेश
गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय
खरपतवार ऐसे पौधों को कहते हैं, जो बिना बोआई के ही खेतों में उग आते हैं और बोई गई फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. मुख्यतः खरपतवार फसलीय पौधों से पोषक तत्त्व, नमी, स्थान यानी जगह और रोशनी के लिए होड़ करते हैं. इस से फसल के उत्पादन में कमी होती है.