गंगा स्तुतिः नमः शिवायै गंगायै शिवदायै नमो नमः। नमस्ते रुद्ररूपिण्यै शांकर्यै ते नमो नमः।। नन्दायै लिंगधारिण्यै नरायण्यै नमो नमः। नमस्ते विश्वमुख्यायै रेवत्यै ते नमो नमः।। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते। निर्लेपाये दुर्गहंयत्रयै दक्षायै ते नमो नमः।। गंगेत्वं परमात्मा च शिव तुभ्यं नमः शिवे। य इदं पठति स्तोत्रं भक्त्या नित्यं नरोऽपि यः।।
हिंदुओं के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में कुम्भ एवं महाकुम्भ उत्सवों के प्रमाण मिलते हैं। महाकुम्भ तथा कुम्भ के लिए प्रयाग को मुख्य स्थल माना गया है। प्रयाग का शब्दिक अर्थ है यज्ञ करने का दिव्य स्थल। धर्म सिंधु के अनुसार, इस स्थल के आठ दान अति उत्तम माने गये हैं। हेमाद्रि ग्रंथ में कहा गया है कि 'सूर्य के मकर संक्रांति में संगम पर काष्ठ और अग्नि का दान सर्वश्रेष्ठ है।' इसी समय, हेमाद्रि ग्रंथ एवं विष्णु धर्म के अनुसार, 'पितरों का श्राद्ध अति उत्तम कहा गया है। माधवीय ग्रंथ में मकर संक्रांति के पूर्व बीस घड़ी पुण्य काल माना गया है।' प्रत्येक तीन वर्षों के अंतराल में हरिद्वार, उज्जैन, प्रयाग और नासिक अपार जन समूह को आकृष्ट करने के लिए विश्व विख्यात है। पद्म पुराण के अनुसार 'गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल ही सर्वोत्तम तीर्थ का स्थल माना गया है' और यहां का पुण्य काशी से हजारों गुना ज्यादा माना गया है। निर्णय सिंधु के अनुसार, 'तीर्थ, द्रव्य, सुपात्र, ब्राह्मण की प्राप्ति होने पर समय और मुहूर्त का विचार न करें और शीघ्र ही श्राद्ध करें।' इसी प्रयाग में मुंडन एवं श्राद्ध भी श्रेष्ठ। यह मेला भी ग्रहों की विशेष स्थितियों से संबंधित है। इसकी तिथि निश्चित होती है और सूर्य, गुरु तथा चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों के अनुसार यह मेला लगता है। यह मेला दिसंबर माह से फरवरी माह तक चलता है तथा विशेष महत्त्व माघ माह का है।
मकरस्थे दिवानाथे वृषशिगते गुरौ।
प्रयागे कुम्भयोगो वै माघमासे विधुक्षये।।
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सर्दियों में भी रखें वास्तु का ख्याल
सर्दी के इस मौसम में कुछ वास्तु उपाय करके आप सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं कौन से हैं वो उपाय आइए लेख के माध्यम से जानें?
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विश्व के सभी देशों की अपनी अलग परंपराएं और पर्व होते हैं। किन्तु नववर्ष एक ऐसा पर्व है जो सभी देशों द्वारा एक साथ मनाया जाता है। भले ही इस पर्व को मनाने के तरीके अलग हों।
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जीवन में नवीनता का अर्थ क्या है नित्य नवीनता, नित्यनूतन सकारात्मकता। उस परमात्मा के उद्देश्य को पूर्ण करना जिसने बड़े प्रेम से सृष्टि और मनुष्य की रचना की है, इस शरीर में सब कुछ होते हुए भी प्राण निकलने पर इस शरीर में दुर्गंध आने लगती है। अगर हम एक पेंटिंग बनाते हैं तो हम कितने खुश होते हैं यदि कोई पेंटिंग खराब कर दे तो हमें कितना बुरा लगता है। हम सब ईश्वर की बनाई हुई एक सुन्दर कृति हैं हम जब बुरे कर्म करते हैं तो उस परमेश्वर को कितना दुख होता होगा, नवीन हम तभी बनेंगे जब हम नकारात्मक विचार त्यागेंगे और जीवन के सकारात्मक उद्देश्य को आत्मसात करेंगे। महात्मागांधी ने कहा है -
सामाजिक आदर्श का प्रतीक बने कुम्भ मेला
स्नान, दान का महापर्व कुम्भ आस्था का ऐसा मेला है जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जन पहुंचते हैं। मेला किन अर्थों में महत्त्वपूर्ण व किस प्रकार सामाजिक आदर्श का प्रतीक बन सकता है। आइए जानते हैं लेख से।
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महाकुम्भ की महिमा का गुणगान हमारे धर्मग्रंथों में भी मिलता है। महाकुम्भ पर क्या कहते हैं हमारे धर्म ग्रंथ व कुम्भ में स्नान के महत्त्व को? आइए जानते हैं लेख से
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अब आपके दिमाग में सवाल उठेगा कि हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत अच्छी है, इसका पता कैसे लगे? तो बता दें कि यह जानने के लिए आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। आपका शरीर खुद ही बताएगा कि आप आंतरिक रूप से स्वस्थ हैं कि नहीं। इन 11 लक्षणों से जानें, जो सेहतमंद होने की निशानी है।
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